Rajasthan Luni River: राजस्थान के जोधपुर से गुजरने वाली लूनी नदी वैसे तो सूखी रहती है. लेकिन इस बार मानसून की बारिश से नदी में पानी उफान पर है. लेकिन बारिश से पहले बजरी माफियाओं ने लूनी नदी को जगह-जगह छलनी कर दिया था. इस वजह से नदी में पानी भरने के साथ ही इसमें जगह-जगह छोटे-छोटे गहरे तालाब बन गए हैं. अब यह तालाब लोगों की जान ले रहा है. इन्हीं तालबों में शुक्रवार (9 जुलाई) को तीन युवक की मौत हो गई.
दरअसल, लूनी नदी में बने इन तालाबों के पास युवक नहाने और सेल्फी लेने पहुंच रहे हैं. जिसमें युवक अपनी जान भी जोखिम में डाल रहे हैं. हालांकि पुलिस प्रशासन ने पहले ही गांवों में लोगों को लूनी नदी से दूर रहने के लिए आगाह किया है. इसके बावजूद लोगों की छोटी सी लापरवाही जान पर भारी पड़ती जा रही है.
तीन युवक की चली गई जान
लापरवाही का नजारा शुक्रवार को दिखा जहां नदी में तीन युवक की मौत हो गई. लूणी गांव के शिकारपुरा गांव के रहने वाले तीन युवक शुक्रवार दोपहर को नहाने के चक्कर में लूनी नदी के पानी में उतरे तो फिर बाहर नहीं निकल पाए. ग्रामीणों की सूचना पर लूणी थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थानीय गोताखोरों की मदद से तलाश शुरू की.जोधपुर से एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी मौके पर पहुंची. जिसके बाद तीनों युवकों के शव को बाहर निकाल कर अस्पताल की मोर्चरी में भेजा गया.
लूनी थाना अधिकारी हुकम सिंह शेखावत ने बताया कि दोपहर में पुलिस को सूचना मिली थी कि शिकारपुरा गांव से गुजरने वाली लूनी नदी में तीन युवक डूब गए हैं. मौके पर पहुंचने पर पता चला कि तीनों युवकों द्वारा अपने कपड़े और मोबाइल नदी के बाहर रखकर नहाने के लिए उतरे थे. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की मदद से तीनों युवकों के शव निकाल लिये गए हैं. वही तीनों के नाम अनिल श्रीमाली, करण वैष्णव और राजेंद्र राव हैं. यह तीनों शिकारपुरा गांव के ही रहने वाले थे.
प्रशासन के सामने ग्रामीणों ने रखी मांग
वही ग्रामीणों ने मांग की है कि इन दिनों लूनी नदी में हादसे ज्यादा हो रहे हैं. ऐसे में जिला प्रशासन को चाहिए की लूणी गांव के आसपास किसी भी जगह पर कंट्रोल रूम बनाकर एक एनडीआरएफ की टीम या टुकड़ी यहां पर लगाई जाए. जिससे हादसा होने के तुरंत बाद एनडीआरएफ की टीम और गोताखोर लोगों को समय रहते बाहर निकाल सके. दरअसल पिछले दिनों लूनी नदी के बहाव में फंसे 15 लोगों को निकालने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम को आने में 4 से 5 घंटे लग गए थे और आज भी इस हादसे में टीमों को पहुंचने में 4 से 5 घंटे लगे जिसको लेकर ग्रामीणों ने लूणी में ही गोताखोरों की टीम की मांग की है.
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