पाकिस्तान मुझे दूसरा कमरा लगता है, कमरे की दूसरी खिड़की लगती है... JLF में भावुक हुए गुलजार

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान अपने जीवनी पर लिखी किताब पर चर्चा करते हुए गुलजार भावुक हो गए. साथ ही उन्होंने पाकिस्तान का जिक्र किया.

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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अपनी बात रखते मशहूर गीतकार गुलजार.

Gulzar in Jaipur Literature Festival: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन मशहूर गीतकार गुलजार साहब पाकिस्तान पर बात करते-करते भावुक हो गए. उन्होंने इस दौरान कहा पाकिस्तान मुझे पड़ोसी लगता है. दूसरा कमरा लगता है, कमरे की दूसरी खिड़की लगती है. दरअसल लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन खुद पर लिखी यतींद्र मिश्र की किताब 'गुलजार साब' पर उन्होंने बातचीत की. इस दौरान अपने जीवन पर लिखी किताब के बारे में चर्चा करते हुए गुलजार भावुक हो गए.

सत्य सरीन के साथ बातचीत के दौरान विभाजन के दिनों को याद करते हुए गुलजार ने कहा कि 'मैं उस दृश्य को नहीं भूल सकता जब मेरे स्कूल में दुआ पढ़ने वाले को मार दिया गया. मुझे पाकिस्तान पड़ोसी लगता है, दूसरा कमरा लगता है, कमरे की दूसरी खिड़की लगती है. वे बहुत उदास करने वाले दिन थे.

गुलजार साहब ने आगे कहा कि मैं अपने लेखन को देखता हूं तो पाता हूं कि उसमें एक उदासी है. असर तो आपकी जिंदगी में आपके लेखन का होगा ही. हर फनकार अपनी क्रिएशन में शामिल है. उसकी उंगली, उसका दिमाग सब उसी रिदम में चलता है, जैसा वह सोचता है.' 

गुलजार पर किताब लिख रहे यतींद्र ने बताया 

गुलजार पर किताब लिखने की प्रक्रिया के बारे में यतींद्र मिश्र ने कहा कि मुझे गुलजार के व्यक्तित्व ने बहुत प्रभावित किया. मैंने देखा कि वे फिल्मों में गाने लिख रहे हैं, फिल्मों में संवाद लिखे हैं, कहानी लिखे हैं. क्या अद्भुत व्यक्तित्व है. वे आपके सवाल के दायरे से बाहर हैं. जितनी आपकी उम्र है, उतना वक्त उन्होंने नज्में लिखने में बीता दिया है.

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यतींद्र मिश्र ने आगे कहा कि फिल्मों का कोई आर्काइव नहीं है, इसलिए उनसे जुड़े शख्सियतों पर लिखना काफी मुश्किल होता है. गुलजार साहब पर लिखने में मुझे कई लोगों ने मदद की. इनके दोस्तों ने मदद की. लता जी से घंटो बात हुई. विविध भारती से काफी मदद मिली. लेकिन इतना सब लिखने के बाद भी मैं कह सकता हूं कि अभी बहुत कुछ लिखा जा सकता है, मैंने जो लिखा है, वह आधी हकीकत है और आधा फसाना है.

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