Hanuman Jayanti: मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन करते ही चिल्लाने लगते हैं भूत! जानिए मंदिर से जुड़े रहस्य

Hanuman Jayanti: मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाड़ियों के बीच में है. इस मंदिर में आपको ऐसी विचित्र परंपराएं और मान्यताएं देखने को मिलेंगी, जिससे आप हैरत में पड़ जाएंगे.

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मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले के बांदीकुईं में हैंत. फाइल फोटो.

Hanuman Jayanti: मेहंदीपुर बालाजी में लोग भूत-प्रेत और बाधाओं से मुक्ति के लिए दूर-दूर से अर्जी लगाने के लिए आते हैं. यहां ऐसे लोगों की लंबी भीड़ लगी रहती है, जोकि प्रेत बाधाओं से परेशान हैं. प्रेत-बाधाओं से मुक्ति के लिए यहां हर रोज 2 बजे कीर्तन होता है. कीर्तन में जिन लोगों पर नकारात्मक साया या प्रेत बाधाओं का असर होता है उसे दूर किया जाता है. सुबह और शाम को बालाजी की रोज आरती होती है. आरती के खत्म होने के बाद भक्तों पर बाला जी के जल का छिड़काव होता है. जल पड़ते ही नकारात्मक एनर्जी दूर होती है.  

मंदिर से प्रसाद घर नहीं लेकर जा सकते हैं

इस मंदिर से खाने-पीने और प्रसाद नहीं लेकर जा सकते हैं. इसके पीछे कारण ये है कि ऐसा करने से नकारात्मक एनर्जी और प्रेता बाधा का साया आपके ऊपर आ सकती है. मेहंदीपुर बालाजी में दो तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं. एक दर्खावस्त या हाजरी और दूसरी अर्जी. हाजरी वाले प्रसाद को दो बार खरीदना पड़ता है.  और अर्जी वाले में तीन थालियों में प्रसाद दिया जाता है. अगर आप मेहंदीपुर बालाजी में हाजरी लगाते हैं तो आपको एक बार हाजिरी लगाने के बाद तुरंत निकल जाना होता है. वहीं अर्जी वालों को प्रसाद लौटते समय दिया जाता है. इस प्रसाद को मंदिर से निकलते समय बिना मुड़कर देखे पीछे फेंक देना होता है.

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मेहंदीपुर बालाजी से जुड़े अन्य रहस्य

मेहंदीपुर बालाजी की बाईं छाती में एक छेद है, जिससे लगातार जल बहता है. लोक मान्यताओं के अनुसार इसे बालाजी का पसीना कहा जाता है. बालाजी के ठीक सामने भगवान राम और माता सीता की भी प्रतिमा है. मूर्तियों के आमने-सामने होने का रहस्य यह है कि बालाजी हमेशा राम-सीता के दर्शन करते रहते हैं. मेहंदीपुर बालाजी में आने वाले भक्तों को कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है. जो भी भक्त यहां आते हैं, उन्हें पूरे एक सप्ताह तक लहसुन, प्याज, मासांहार भोजन और मदिरा का सेवन बंद करना पड़ता है. 

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सालासर धाम में भक्तों का लगा ताता 

सालासर धाम में भी बालाजी का मंदिर है. हनुमान जन्मोत्सव और पूर्णिमा पर भक्तों का ताता लगा रहता है.  सुजानगढ़ के सिद्धपीठ सालासर बालाजी धाम में चैत्र पूर्णिमा पर लगने वाला मेला मंगलवार को परवान पर रहा. चिलचिलाती गर्मी में भी भक्तों का हौसला नहीं टूट रहा हैं . तीन दिन के मेले के अंतिम दिन बालाजी के दर्शन के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही.  श्रद्धालु बालाजी के लाल ध्वजा, प्रसाद नारियल चढ़ा कर मन्नत मांग रहे हैं.  

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नारियल बांधने से भक्तों की इच्छा होती है 

हनुमान सेवा समिति के अध्यक्ष यशोदानंदन पुजारी ने बताया कि मंगलवार और पूर्णिमा एक दिन होने पर हनुमान जन्मोत्सव पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. लाखों भक्तों ने बाबा के दरबार शीश झुकाकर देश व प्रदेश में खुशहाली की कामना की.  सालासर बालाजी धाम सिन्दूरीमय व बाबा के जयकारों से गुंजायमान हो गया. हाथ मे लाल पताका लिए गुलाल उड़ाते हुए भक्तों ने बाबा के दरबार दर्शन कर शीश झुकाया. ऐसी मान्यता है कि मन्दिर में मनोकामना का नारियल बांधने से बाबा अपने भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं.  इसके बाद में श्रद्धालु व भक्त संत मोहनदास महाराज की समाधि पर जाकर दर्शन करते हैं. 

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