हाथरस वाले भोले बाबा के राजस्थान में भी लाखों भक्त, डिप्टी CM प्रेमचंद बैरवा भी समागम में हुए थे शामिल

Hathras stampede: यूपी के हाथरस में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में 121 लोगों की मौत हो चुकी है. इस घटना के बाद बाबा नारायण साकार की पूरी कुंडली खंगाली जा रही है. इसी कड़ी में यह बात सामने आई है कि नारायण साकार हरि को मानने वाले भक्त राजस्थान में भी लाखों की संख्या में है.

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Hathras stampede: हाथरस वाले बाबा नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल जाटव उर्फ भोले बाबा को मानने वाले भक्त राजस्थान में भी लाखों की तादात में हैं. खास कर पूर्वी राजस्थान में बाबा का अच्छा प्रभाव है. भरतपुर, दौसा, डीग जैसे जिलों में बाबा के भक्तों की संख्या बड़ी संख्या में हैं, हाथरस सत्संग हादसे के बाद बाबा का राजस्थान कनेक्शन भी सामने आया है. यह बात भी सामने आई कि बाबा राजस्थान में कई जगहों पर अपना कार्यक्रम आयोजित कर चुके थे. जिसमें हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ जुटती थी. बाबा के प्रवचन में न केवल आम आदमी बल्कि खास लोग भी शामिल होते थे. राजस्थान के डिप्टी सीएम प्रेमचंद्र बैरवा भी बाबा नारायण साकार के सद्भावना समागम में शामिल हो चुके थे. 

पश्चिमी यूपी, राजस्थान और एमपी के कई जिलों में बाबा का प्रभाव

दरअसल नारायण साकार हरि का मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम का जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित होता था. नारायण साकार हरि, खुद को हरि का शिष्य कहते हैं. अक्सर अपने प्रवचन में कहते हैं कि साकार हरि पूरे ब्रहमांड के मालिक हैं. यहां तक कि ब्रहमा, विष्णु और शंकर ने भी साकार हरि को ही गुरू माना है. नारायण साकार हरि की पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान के कई जिलों में अच्छी पकड़ है. इन राज्यों में अक्सर उनके प्रवचन और समागत होते रहते हैं. नारायण साकार हरि अपनी पत्नी के साथ सत्संग करते हैं. जिसे, ‘मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम' कहा जाता है। इनमें भारी तादाद में लोगों की भीड़ भी उमड़ती है.

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उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ कस्बे के फुलरई गांव में मंगलवार को मचे भगदड़ में 121 लोगों की मौत हुई है. जिसमें डीग जिले के कुम्हेर उपखंड के गांव सबौरा निवासी राजनदेइ पत्नी परसादी लाल की भी मौत हुई है.

हाथरस वाले सत्संग में भरतपुर और डीग से गए थे करीब 800 लोग 

इस सत्संग में शामिल होने के लिए भरतपुर और डीग जिले से करीब 800 लोग शामिल होने के लिए गए थे. जानकारी के मुताबिक भरतपुर में 50 हजार से अधिक बाबा के भक्त है. बाबा का पहला नारायण साकार हरि का मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम 2006 में भरतपुर शहर स्थित लोहागढ़ स्टेडियम में हुआ था. पहले ही समागम में आस पास के राज्यों और जिलों के काफी भक्त शामिल हुए थे. 

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राजस्थान में नारायण साकार हरि के सत्संग में जुटी लोगों की भीड़.

2013 से पूर्वी राजस्थान में अक्सर होता था बाबा का सत्संग

उसके बाद भरतपुर शहर स्थित अखण्ड के पास 2013, 2016 और 2017 और अप्रैल 2022 को रूपवास, अक्टूबर 2023,फरवरी 2024 रूपवास में सहित नदबई, डीग कुम्हेर आदि स्थानों पर नारायण साकार हरि के मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम का आयोजन हो चुका है.

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फरवरी 2024 में बाबा के समागम में शामिल हुए थे डिप्टी सीएम बैरवा

फरवरी 2024 को इसी कार्यक्रम में राजस्थान के उप मुख्यमंत्री प्रेम चंद वैरवा भी शामिल हुए थे उस दौरान लाखो की भीड़ इस कार्यक्रम में शामिल हुई थी जिसमें. उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश राजस्थान एवं उत्तराखंड सहित तमाम राज्यों के लाखों की संख्या में भक्त शामिल हुए थे करीब 20 किलो मीटर तक वाहनों की लंबी कतार लग गई थी.

नारायण साकार हरि के सत्संग में शामिल राजस्थान के डिप्टी सीएम प्रेमचंद्र बैरवा.

बाबा की बीमारी की बात पता चलते भरतपुर में जुट गई थी भीड़

कोरोना के समय जब नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा दिल की समस्या के चलते भरतपुर शहर के एक निजी अस्पताल में आए थे. जब इसकी जानकारी भक्तों को लगी तो बिजलीघर से लेकर काली बगीची तक भक्तों की भीड़ जुट गई थी.

भरतपुर, डीग, दौसा के अलावा करौली, धौलपुर, जयपुर में हो चुके समागम

मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम भरतपुर के  अलावा करौली, धौलपुर, दौसा, जयपुर आदि स्थानों पर कार्यक्रम का आयोजन कर चुके है. समागम के आयोजन की पूरी व्यवस्थाएं बाबा के वर्दी धारी सेवादारों द्वारा संभाली जाती है. अपने क्षेत्र में मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम के आयोजन के लिए भक्तों को बाबा के वहां प्रार्थना पत्र देना पड़ता है उसके बाद ही बाबा फैसला करते हैं कि उनका कार्यक्रम करना है या नहीं.

सेवादारों द्वारा दी जाती थी सत्संग की सूचना

मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम का आयोजन जहां भी होता है वहां सेवादारों द्वारा ही लोगों को सूचना दी जाती है उसके बाद लोग वहां पहुंचते हैं.बाबा जब मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम का समापन करने के बाद जिस रास्ते से जाते हैं वहां की रज को लोग लेने के साथ माथे से लगाते हैं.

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