पत्नी को देखनी थी एमएफ हुसैन की पेटिंग, ख्वाहिश पूरी करने के चक्कर में कानूनी पचड़ों में फंसे कांग्रेस के दिग्गज नेता

Delhi News: दिल्ली की स्पेशल कोर्ट ने इसे बीएनएस धारा-406 के तहत आपराधिक विश्वासघात का मामला बताया. साथ ही इस केस को मजिस्ट्रेट कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया है.

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पूर्व केंद्रीय मंत्री जिंतेंद्र सिंह (फाइल फोटो).

Case against former Union Minister Jitendra Singh: राजस्थान में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जिंतेंद्र सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं. दिल्ली की एक अदालत ने मजिस्ट्रेट के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ अभियोजन के अनुरोध वाली शिकायत खारिज कर दी गयी थी. अदालत ने कहा कि जितेंद्र सिंह के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात के अपराध में कार्यवाही शुरू करने के लिए प्राथमिक तौर पर पर्याप्त आधार मौजूद हैं. दरअसल, शिकायतकर्ता रोहित सिंह महियारिया के अनुसार, "जितेंद्र सिंह ने अप्रैल 2014 में रोहित की मां और पूर्व सांसद डॉ. प्रभा ठाकुर से एम.एफ. हुसैन की 1 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की एक पेंटिंग उधार ली, लेकिन उसे वापस नहीं किया. साल 2017 में पूर्व मंत्री ने दावा किया कि उन्हें पेंटिंग मिल नहीं रही है."

25 नवंबर को मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने के निर्देश

रोहित का आरोप है, "भंवर जितेंद्र सिंह ने उनकी मां से एम.एफ. हुसैन की यह पेंटिंग उधार लेते हुए कहा था कि वे इसे अपनी पत्नी को दिखाना चाहते हैं, जो हुसैन की पेंटिंग की प्रशंसक हैं." अब इसी मामले में अदालत ने कहा कि मामले में प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी का अपराध नहीं बनता है. अदालत ने शिकायतकर्ता और कांग्रेस नेता को 25 नवंबर को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया. 

स्पेशल कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में फिर भेजा मामला

जज ने कहा कि पेंटिंग वापस न करना, झूठे वादे करना और बाद में लौटाने से साफ इनकार करना, यह सब विश्वासघात और सौंपे गए संपत्ति के दुरुपयोग को दर्शाता है. धारा 406 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है. अदालत ने कहा कि निचली अदालत द्वारा यह निष्कर्ष निकालना कि पेंटिंग उपहार में दी गई, तथ्यों के विपरीत और अस्थिर है. इसलिए स्पेशल कोर्ट ने मामला पुनः विचार के लिए ट्रायल कोर्ट को भेज दिया और आदेश दिया कि ट्रायल कोर्ट अब इस मामले में कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई करे.

स्पेशल कोर्ट ने ये कही ये बात

दरअसल, मजिस्ट्रेट अदालत ने इस साल मार्च महीने में आदेश सुनाया था. इसी मामले में स्पेशल कोर्ट ने सुनवाई की. बुधवार (11 नवंबर) के आदेश में अदालत ने कहा, "रिकॉर्ड स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि संबंधित पेंटिंग प्रतिवादी को अप्रैल 2014 में केवल एक सीमित उद्देश्य के लिए सौंपी गई थी यानी उसे उन्हें अपनी पत्नी को दिखाने और उसकी खरीद पर विचार करने के लिए. यह सौंपना सद्भावनापूर्वक और स्वामित्व के किसी हस्तांतरण के बिना किया गया था."

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आपराधिक विश्वासघात का मामला बनता है- कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि बार-बार मौखिक और लिखित अनुरोध के बावजूद सिंह द्वारा पेंटिंग वापस न करने, झूठे आश्वासन देने और अंततः उसे वापस करने से इनकार करने के बाद का आचरण, स्पष्ट रूप से सौंपी गई संपत्ति को बेईमानी से रखने और उसके दुरुपयोग को दर्शाता है. इससे भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के तहत आपराधिक विश्वासघात के तत्व पूरे होते हैं.

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