वीडियो बनाकर यूट्यूब पर डालते थे बच्चे, हाईकोर्ट ने दादा-दादी से छीन ली कस्टडी

अदालत ने सुनवाई के बाद कहा कि बिना किसी निगरानी के इतनी कम उम्र की बच्ची का यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना ख़तरनाक है और साइबर अपराधी उसे निशाना बना सकते थे.

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AI से बनी प्रतीकात्मक तस्वीर

Rajasthan: बच्चों के हाथों में मोबाइल फोन सौंपने और उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने को लेकर सारी दुनिया में बहस होती है. इसी माहौल में राजस्थान की राजधानी जयपुर से बच्चों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल से जुड़ा एक मामला सामने आया है जो हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) तक पहुंच गया और जज ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने दादा-दादी के साथ रह रहे दो बच्चों के यूट्यूब (YouTube) अकाउंट चलाने को लापरवाही ठहराते हुए दोनों बच्चों को उनके साथ रहने पर रोक लगा दी और बच्चों को उनकी मां के पास भेजने का फैसला सुनाया.

बच्चों की कस्टडी का मामला

जयपुर के आमेर क्षेत्र में एक परिवार में बच्चों की कस्टडी का एक मामला अदालत पहुंचा था. इस परिवार में 11 साल की एक बच्ची और 7 साल के भाई के पिता की मौत के बाद बच्चों की कस्टडी को लेकर विवाद छिड़ गया. बच्चों को दादा-दादी उनकी मां से अलग कर अपने साथ रखने लगे. बच्चों को अपने साथ रखने के लिए मां ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. मां की अपील पर राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और न्यायाधीश जस्टिस पंकज भंडारी ने 21 जनवरी को फैसला सुनाया जिसका ब्यौरा अभी सामने आया है.

क्या है मामला

  • पिता की मौत के बाद दादा-दादी के साथ रहते थे बच्चे
  • पिता के फोन से वीडियो बनाकर अपलोड करते थे
  • मां ने कस्टडी के लिए हाईकोर्ट में की थी अपील
  • हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान वीडियो देख आपत्ति जताई

बच्ची खुद से यूट्यूब पर वीडियो अपलोड करती थी

जस्टिस भंडारी ने मां के पक्ष में फैसला सुनाया. अदालत ने इस मामले में सबसे बड़ी आपत्ति बच्चों के यूट्यूब वीडियो और रील्स बनाने को लेकर जताई. अदालत ने बच्ची के अपलोड किए गए कुछ वीडियो देखने के बाद इसे दादा-दादी की 'गंभीर लापरवाही' ठहराया. याचिकाकर्ता मां के वकील ने अपनी दलील में कहा था कि बच्ची अपने पिता के फोन पर अपने दादा-दादी के सामने ही  वीडियो रिकॉर्ड करती है और उसे अपलोड करती है लेकिन वो कुछ नहीं कहते. 

साइबर अपराधी बना सकते थे निशाना

अदालत ने सुनवाई के बाद कहा कि बिना किसी निगरानी के इतनी कम उम्र की बच्ची की यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना ख़तरनाक है और साइबर अपराधी उसे निशाना बना सकते थे.

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अदालत ने मां को बच्चों की प्राकृतिक संरक्षक ठहराते हुए बच्चों की कस्टडी मां को देने के फैसला सुनाया. लेकिन अदालत ने साथ ही दादा-दादी को भी हर रविवार 5 घंटे तक बच्चों से मिलने और उन्हें साथ रखने की अनुमति दी.

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