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16 साल से कम उम्र के बच्चे नहीं चला सकेंगे सोशल मीडिया, इस देश में बन रहा कानून, कैबिनेट से मिली मंजूरी

Social Media Law: सोशल मीडिया पर टाइम पास करना आज का सबसे बड़ा शगल बन चुका है. यह शगल आने वाली पीढ़ी का भविष्य चौपट कर सकती है. ऐसे में अब सरकार सोशल मीडिया पर नकेल करने के लिए कड़ा नियम बनाने जा रही है.

16 साल से कम उम्र के बच्चे नहीं चला सकेंगे सोशल मीडिया, इस देश में बन रहा कानून, कैबिनेट से मिली मंजूरी
सोशल मीडिया.

Social Media Law: फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, वाट्स एप, स्नैप चैट सहित अन्य सोशल मीडिया पर इन दिनों लोगों का बहुत ज्यादा समय बीतता है. छोटे बच्चे भी इसके आदी होते जा रहे हैं. इससे आने वाला भविष्य अंधकारमय लग रहा है. सोशल मीडिया के बढ़ते दखल के बीच अब कई जगहों पर इस पर लगाम लगाने की मांग भी हो रही है. लोगों की इसी मांग को देखते हुए सरकार सोशल मीडिया प्रबंधन को लेकर नया कानून बनाने जा रही है. इस कानून की सबसे खास बात यह होगी कि इसके लागू होने के बाद 16 साल से कम उम्र के बच्चों का सोशल मीडिया चलाना प्रतिबंधित हो जाएगा. सोशल मीडिया पर नकेल कसने की ये पूरी कवायद अपने आप में पहली बार ऑस्ट्रेलिया में हो रही है. 

दरअसल ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को सरकार के प्रस्तावित सोशल मीडिया कानून पर सहमति व्यक्त की. यह दुनिया में अपनी तरह का पहला कानून है- जो देश में सोशल मीडिया तक पहुंच के लिए न्यूनतम आयु 16 वर्ष निर्धारित करता है. 

सोशल मीडिया युवाओं को पहुंचा रहा नुकसानः प्रधानमंत्री

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने कहा, "सोशल मीडिया हमारे ऑस्ट्रेलियाई युवाओं को सामाजिक रूप से नुकसान पहुंचा रहा है और मैं इस पर रोक लगाने की मांग करता हूं. हमारे युवाओं की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. मेरी सरकार युवाओं की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेगी, साथ ही उन माता-पिता और शिक्षकों को भी सहायता प्रदान करेगी जो इन मुद्दों से जूझ रहे हैं.'

प्रधानमंत्री अल्बानीज ने कहा, 'मैं ऑस्ट्रेलियाई माता-पिता को यह बताना चाहता हूं कि हम उनके साथ हैं." उन्होंने वर्चुअल कैबिनेट मीटिंग के बाद मीडिया से यह बात कही.

काफी विचार-विमर्श के बाद बनाया गया कानून

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने कहा, "यह कानून स्टेट और टेरिटरी के साथ काफी समय तक व्यापक परामर्श के बाद बनाया गया है, माता-पिता, शिक्षकों, युवाओं के साथ भी परामर्श किया गया. शिक्षाविदों, बाल विकास विशेषज्ञों, उद्योग और नागरिक संगठनों, फर्स्ट नेशन ऑर्गेनाइजेशन, सभी से समय-समय पर परामर्श किया गया क्योंकि यह एक कठिन मुद्दा है और हम इसे सही करना चाहते हैं."

यह कानून भले ही ऑस्ट्रेलिया में बना हो, लेकिन इसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. आने वाले समय में भारत जैसे देश में भी इस तरह के कानून बनाया जा सकता है. 

क्लासरूम में फोन पर प्रतिबंध लगाने का मिला अच्छा प्रभाव

अल्बानीज ने कहा, "आज हमने मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्रियों के साथ कक्षाओं में फोन पर प्रतिबंध लगाने और उससे प्राप्त फीडबैक के बारे में चर्चा की. जब इसे लागू किया गया था, तो कुछ लोगों के लिए यह विवादास्पद था, लेकिन अब यह बहुत सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है. इस आदेश की वजह से छात्र अपनी कक्षा में चल रही गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और सामाजिक संपर्क में सुधार हो रहा है. बच्चे अपने फोन पर खेलने के बजाय लंच के समय एक-दूसरे के साथ खेल रहे हैं - यह अच्छी बात है."

अगले संसदीय सत्र में पेश होना कानून

अल्बानीज सरकार अगले संसदीय सत्र में कानून पेश करेगी, जो शाही स्वीकृति के 12 महीने बाद लागू होगा. यह माता-पिता या युवाओं पर नहीं, बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जिम्मेदारी डालता है कि वे बुनियादी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाएं. ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने कहा, "हम अगले सीटिंग वीक में संसद में कानून पेश करेंगे, हमें प्रतिनिधि सभा और सीनेट में उस कानून के लिए समर्थन मिलने की उम्मीद है."

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