राजस्थान उच्च न्यायालय ने फलोदी जिले में प्रवासी पक्षी के आवास क्षेत्र में हाईटेंशन बिजली लाइन बिछाने को चुनौती देने संबंधी याचिका पर राज्य सरकार और ‘पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया' से जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश एजी मसीह और न्यायमूर्ति विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने मंगलवार को नोटिस जारी कर राज्य सरकार और बिजली कंपनी से दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है.
याचिका के अनुसार कुरजां के नाम से जाने जानी वाली डेमोइसेल सारस कई वर्षों से हर सर्दियों में फलोदी के खींचन क्षेत्र में हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके आती है. इसमें कहा गया है कि प्रवासी पक्षियों के लिए आवास को सुरक्षित रखने के लिए उच्च न्यायालय ने पहले की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से आश्वासन लिया था कि पक्षियों के विचरण के क्षेत्र में बिजली लाइनें नहीं बिछाई जाएंगी.
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि आश्वासन के बावजूद इलाके में बिजली लाइन बिछाने का काम जारी रहा. वकील ने दलील दी कि क्षेत्र को हाल में एक संरक्षण स्थल घोषित किया गया था और इसके विकास के लिए दो करोड़ रुपये की धनराशि वितरित की गई थी. याचिकाकर्ता ने बम्बई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी की एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की है, जिसमें कहा गया था कि बिछाई जा रही बिजली लाइन से प्रवासी पक्षियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा.