भरतपुर के धनेरी गुफा का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा, आज तक छिपा है इसका रहस्य, इसे कहते हैं गोवर्धन का छोटा भाई

राजस्थान के भरतपुर में स्थित धनेरी गुफा को लेकर कई मान्यताएं है. लेकिन आजतक इसका रहस्य कोई नहीं जान पाया. महाराज बृजेंद्र सिंह ने कोशिश की थी लेकिन नाकाम रहे.

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Bharatpur Dhaneri cave

Bharatpur Dhaneri Cave: देश में ऐसी कई गुफाएं हैं जिनका रहस्य काफी दिलचस्प है. वहीं कुछ तो ऐसे गुफाएं हैं जिसके रहस्य के बारे में आजतक कोई जान नहीं सका है. ऐसा ही एक गुफा राजस्थान के भरतपुर में स्थित है. इस गुफा का संबंध भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा है. भरतपुर जिले के गांव पथैना से करीब 3 किलोमीटर दूर काला पहाड़ की तलहटी में स्थित है धनेरी गुफा. इस गुफा को लेकर काफी मान्यताएं हैं. ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण जब मथुरापुरी छोड़कर द्वारिकापुरी जा रहे थे तो वह इसी गुफा से होकर गए थे. ऐसा भी कहा जाता है कि राजा मुचुकुन्द ने कालयवन का वध भी इसी गुफा में किया था.

भरतपुर के राजा ने इस गुफा का रहस्य जानने के लिए कुछ सैनिकों को अंदर भेजा था. लेकिन 2-3 महीने बाद कुछ सैनिक तो बाहर आ गए. लेकिन कुछ सैनिक अंदर ही रह गए और कभी लौटकर वापस नहीं आए. अब तक इस गुफा का रहस्य कोई नहीं जान पाया है. 

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ग्रामीणों ने डर से बनवाया मंदिर

ऐसा कहा जाता है कि देव रात्रि में रात को गुफा के अंदर से अलग-अलग तरह की आवाजें आती है. गुफा के अंदर से झालर और शंख की आवाजें आती हैं. वहीं गुफा से हिंसक जंगली जानवर और विशाल सांप निकलते हैं. ऐसे में ग्रामीणों ने डर से गुफा के मुंह को बंद करवा दिया और यहां एक भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवा दिया. यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बन गया है. मंगलवार-शनिवार और अमावस्या-पूर्णिमा को श्रद्धालुओं का यहां जमघट लगा रहता है. लोगों का कहना है कि यहां लोगों और जानवरों के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है अगर जिला प्रशासन इसके विकास को लेकर ध्यान दें तो यह आस्था का बड़ा केंद्र बन सकता है.

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धनेरी गुफा को लेकर कई किंवदंती हैं

स्थानीय निवासी विष्णु मित्तल का कहना है कि गोवर्धन का छोटा भाई काला पर्वत की तलहटी में धनेरी गुफा है. यह गुफा भगवान श्री कृष्ण के समय की है और मान्यता है कि जब भगवान श्री कृष्ण मथुरापुरी को छोड़कर द्वारकापुरी गए थे तो इसी गुफा के माध्यम से गए थे.

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दूसरी ओर इस गुफा से जुड़ी दूसरी किंवदंती है भगवान श्री कृष्ण का शत्रु था कालयवन.भगवान कृष्ण ने इस असुर को इसी गुफा में बुलाया. इस गुफा में राजा मुचुकुन्द योग-निद्रा में था. कालयवन ने मुचुकुन्द को कृष्ण समझ जगा दिया. मुचुकुन्द को बहुत गुस्सा आया और कालयवन को जलाकर राख कर दिया.

तीसरी किंवदंती यह है कि जब जरासंध ने भगवान कृष्ण पर आक्रमण किया तो उन्होंने इसी गुफा में छुपकर जान बचाई थी और जरासंध के द्वारा इस पहाड़ में आग लगा दी. जिससे इस पहाड़ पर आगे पेड़ पौधे जल का राख हो गए तभी से यह पहाड़ काला पड़ गया.

काले पहाड़ को कहा जाता है गोवर्धन पर्वत का छोटा भाई

ऐसी यहां के लोगों की मान्यता है कि यह काला पहाड़ गोवर्धन पर्वत का छोटा भाई है. जिस तरह से गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की जाती है. उसी प्रकार काले पर्वत की परिक्रमा करने की मान्यता है जिससे मनोकामना पूर्ण होती है. जहां गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा 21 किलो मीटर की है. उसी तरह काले पहाड़ की परिक्रमा करीब 48 किलो मीटर है. कुछ भक्त मनोकामना पूर्ण होने पर अपने परिवार के साथ इस काले पर्वत की परिक्रमा भी करते हैं. इस क्षेत्र में मोरों की संख्या अधिक है. हालांकि यहां जहरीले और हिंसक जानवर भी रहते हैं.

महाराज बृजेंद्र सिंह ने रहस्य जाने की कोशिश की थी

भरतपुर रियासत के महाराजा बृजेंद्र सिंह ने साल 1943 में धनेरी गुफा का रहस्य जानने के लिए कुछ लोगों को गुफा के अंदर अलाव जलाकर भेजा था. कुछ सैनिक जो 2 से तीन माह बीत जाने के बाद भी गुफा से बाहर आए तो कुछ सैनिक लौटकर वापिस नहीं आए. लेकिन इस गुफा के रहस्य के बारे में अब तक कोई नहीं जान पाया. 

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