Rajasthan Politics: 'वसुंधरा राजे होतीं तो कुछ ना कुछ लाभ मिलता', अपनी हार पर बोले सुमेधानंद सरस्वती

वसुंधरा राजे की झालावाड़ के अलावा अन्य जगह सक्रियता चुनाव में कम रहने के सवाल पर सुमेधानंद सरस्वती ने कहा, ''हो सकता है मैडम अगर चुनाव प्रचार में जाती कुछ ना कुछ पार्टी को लाभ मिलता. क्योंकि दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और प्रभावशाली नेता हैं. इसलिए इसका प्रभाव जरूर पड़ता लेकिन वह खुद नहीं गई या पार्टी ने नहीं बुलाया इस बारे में मैं कुछ नहीं कहूंगा''.

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''राजनीति में कोई चीज स्थाई नहीं होती है अनेक समीकरण बनते हैं और समीकरणों के आधार पर ही हार जीत होती है'' यह कहना है सीकर लोकसभा क्षेत्र से दो बार के सांसद रहे और लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा प्रत्याशी स्वामी सुमेधानंद सरस्वती का. उन्होंने राहुल कस्वां के टिकट से पार्टी को नुकसान की बात भी कही. साथ ही तह भी कहा कि वसुंधरा रहे अगर चुनाव प्रचार करतीं तो पार्टी को फायदा होता.

लोकसभा चुनाव में अपनी हार के बारे में बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, ''जहां तक लोकसभा 2024 के चुनाव के प्रथम चरण में राजस्थान की 12 सीटों में से 8 सीटों पर भाजपा हारी. इसका बहुत बड़ा कारण रहा वोट प्रतिशत कम होना, किसान आंदोलन का गठबंधन की पार्टियों की ओर से झूठे तरीके से प्रचार करना, केंद्र सरकार की अग्निवीर योजना को सही तरीके युवाओं को नहीं समझा पाने के कारण थोड़ा बहुत नुकसान उसका भी हुआ.''

''राहुल कस्वां के टिकट कटने का पड़ा फर्क'' 

समेधांनन्द सरस्वती ने यह भी कहा कि कहा राहुल कस्वां की टिकट काटने का असर शेखावाटी की चारों सीट चूरू, सीकर, झुंझुनूं और नागौर पर भी पड़ा है. इसको बिल्कुल भी नकारा नहीं जा सकता. लेकिन केवल जाट वोटों को ही बात नहीं है. इसके अलावा एससी को डराया गया कि आपका संविधान खतरे में पड़ जाएगा, आपका आरक्षण खत्म कर देंगे. जिसके चलते एससी के वोट भाजपा को कम मिले, साथ ही राजपूत के वोट भी कम पड़े है, राजपूत ने वोट तो दिए हैं लेकिन काफी कम पड़े हैं. इसका मुख्य कारण रूपाला का बयान रहा.

राहुल कस्वां का टिकट काटने से हालांकि जाट वोटों पर इतना ज्यादा फर्क नहीं पड़ा. लेकिन अगर एक प्रतिशत भी फर्क पड़ा है तो उसका असर हार जीत पर निश्चित तौर पर पड़ा है

सुमेधानंद सरस्वती, पूर्व सांसद, सीकर

''मैडम प्रचार करतीं तो फायदा होता''

वसुंधरा राजे की झालावाड़ के अलावा अन्य जगह सक्रियता चुनाव में कम रहने के सवाल पर सुमेधानंद सरस्वती ने कहा, हो सकता है मैडम अगर चुनाव प्रचार में जाती कुछ ना कुछ पार्टी को लाभ मिलता. क्योंकि दो बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रही है और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है. इसके साथ ही प्रभावशाली नेता है इसलिए इसका प्रभाव जरूर पड़ता. लेकिन वह खुद नहीं गई या पार्टी ने नहीं बुलाया इस बारे में मैं कुछ नहीं कहूंगा.

''जाट बोर्डिंग वाले बयान से कोई फर्क नहीं पड़ा''

जाट बोर्डिंग से आतंकवादी निकालने के उनके बयान से जाट समाज के नाराज होने के सवाल पर उन्होंने कहा, मेरे बयान के बारे में सभी प्रबुद्ध लोग जानते हैं कि क्या हुआ और जाटों का मैं काफी सम्मान करता हूं. यह तो सिर्फ कॉमरेडो (सीपीआईएम) ने झूठा प्रचार किया था. इसका कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा.

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 पार्टी में उनकी आगे क्या भूमिका रहेगी इसके सवाल पर उन्होंने कहा मेरे ऊपर पार्टी का ऋण है क्योंकि पार्टी ने बिना मांगे ही दो बार मुझे टिकट दी और सहयोग किया. इसके साथ ही हमेशा पार्टी ने मेरा सम्मान किया. इसलिए जब तक मेरे इस शरीर में प्राण रहेंगे तब तक पार्टी मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी उसे पूरा करूंगा. मेरी हार से पार्टी के कार्यकर्ता निराश ना हो केंद्र और राज्य में हमारी सरकार है. हम काम करेंगे और सबको साथ लेकर काम करेंगे.

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