आप भी करते हैं FASTag इस्तेमाल तो ज़रूर पढ़ें ये ख़बर, होनेवाला है बड़ा बदलाव

केंद्र सरकार FASTag से यात्रा करने के दो नए विकल्पों को लागू करने की योजना बना रही है. कैसे काम करेगा सालाना पास और पे-ऐज़-यू-गो फ़ास्टैग?

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FASTag की व्यवस्था टोल नाकों पर टैक्स चुकाने की व्यवस्था को आसान बनाने के लिए लाई गई थी

New FASTag Rules: पिछले कुछ दिनों से टोल टैक्स चुकाने के लिए इस्तेमाल होनेवाला फास्टैग (FASTag) सुर्खियों में है.  फास्टैग से राष्ट्रीय राजमार्गों (National Highway) और एक्सप्रेसवे (Expressway) पर यात्रा के दौरान बिना नकद पैसे के इलेक्ट्रॉनिक तरीके से टोल टैक्स (Toll Tax) चुकाया जाता है. ऐसी चर्चा है कि सरकार फास्टैग के नियमों में कुछ परिवर्तन करने पर विचार कर रही है. मीडिया में आई ख़बरों में बताया जा रहा है कि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (Ministry of Road Transport and Highways) वार्षिक टोल पास जारी करने की तैयारी कर रहा है. इसका उद्देश्य  राजमार्गों पर स्थित टोल नाकों पर टोल संग्रह को आसान बनाना और यात्रियों के लिए यात्रा को सुगम बनाना है.

वार्षिक पास से अनलिमिटेड यात्रा

प्रस्तावित योजना के अनुसार फास्टैग इस्तेमाल करनेवाले लोग 3,000 रुपये देकर सालाना पास बनवा सकते हैं. इस पास से वो नेशनल हाइवे, एक्सप्रेसवे और राज्यों के एक्सप्रेसवे से यात्रा कर सकेंगे और उन्हें बार-बार फास्टैग चार्ज करने की ज़रूरत नहीं होगी. वो इस पास से पूरे एक साल के दौरान जितनी भी बार यात्रा करना चाहें, कर सकते हैं.

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FASTag से टोल बूथ पर कैश के बिना टैक्स दिया जा सकता है
Photo Credit: ANI

पे-ऐज़-यू-गो का विकल्प

इसके अलावा ऐसे लोग जो नियमित रूप से लंबी यात्राएं नहीं करते हैं, उनके लिए दूरी पर आधारित एक दूसरा विकल्प भी लाने की योजना है. इस योजना में वाहन यात्री प्रति 100 किलोमीटर 50 रुपये की दर से टोल टैक्स दे सकेंगे. इससे टोल टैक्स चुकाने में आसानी होगी और अलग-अलग रेट के हिसाब से टोल नहीं देना होगा.

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क्या वार्षिक फ़ास्टैग पास अलग से लेना होगा?

रिपोर्टों के अनुसार जिन लोगों के पास पहले से फ़ास्टैग है, उनका अकाउंट पर्याप्त होगा और उन्हें कोई दूसरा अकाउंट बनाने की ज़रूरत नहीं होगी. सरकार नए बदलावों को इस प्रकार से लागू करेगी जिससे कि मौजूदा फ़ास्टैग यूज़र अपने उसी अकाउंट से वार्षिक पास या पे-ऐज़-यू-गो का विकल्प चुन सकेंगे.

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फ़ास्टैग की व्यवस्था वर्ष 2014 में शुरू की गई थी. इसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके से टोल टैक्स का भुगतान हो जाता है. इसके लिए वाहनों पर रेडियो फ़्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक से चलनेवाला टैग लगा होता है जो प्रीपेड या बैंक खाते से लिंक होता है.

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