सड़क हादसों पर लगाम लगाएगा IIT जोधपुर का 'IoV तकनीक', जानिए क्या है खासियत

जोधपुर में स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान 'IIT' ने एक ऐसी अत्याधुनिक तकनीक को विकसित किया है. जिससे यातायात दबाव और सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी.

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कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट द्वारा विकसित है यह नोवेल मेक आधारित प्रमाणीकरण योजना

IIT Jodhpur: तकनीक के इस युग में भारत संपूर्ण विश्व में नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है लेकिन विश्व में सड़क हादसों के मामलों में भी अत्यधिक सड़क हादसों में जान गंवाने के ग्राफ में भी भारत विश्व में उन चुनिंदा देश में है जहां सड़क हादसों में अत्यधिक मौते भी होती हैं, लेकिन अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ' IIT' जोधपुर ने एक नई तकनीक को विकसित किया है. जिससे न सिर्फ सड़क हादसों की ग्राफ में कमी आएगी बल्कि यातायात की समस्या से लगने वाले जाम से भी आम जनता को निजाज मिलने वाला है.

कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट द्वारा विकसित है यह प्रमाणीकरण योजना 

दरअसल जोधपुर में स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान 'IIT' ने एक ऐसी अत्याधुनिक तकनीक को विकसित किया है. जिससे यातायात दबाव और सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी. आईआईटी के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के द्वारा विकसित 'नोवेल मेक'- आधारित प्रमाणीकरण योजना का उद्देश्य न केवल वाहन की सुरक्षा को बढ़ाना बल्कि देश में सड़क दुर्घटनाओं के ग्राफ में कमी लाना भी है. मुख्य रूप से 'IoV तकनीक' इंटरनेट ऑन व्हीकल नेटवर्क के आधार पर कार्य करने वाली है और इस तकनीक का उपयोग करने वाले वाहन और उपयोगकर्ता का डाटा भी पूर्ण रूप से सुरक्षित रहता है.

सड़क दुर्घटनाओं को कम करना और सुरक्षा को बढ़ाना है मकसद

आईआईटी के इस नवीन रिसर्च को आईआईटी के कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग के सहायक आचार्य डॉ. देबाशीष दास व स्कॉलर हिमानी सिकरवार ने मिलकर की है, जिसे IEEE के 'ट्रांजेक्शन्स ऑन इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम्स' में प्रकाशित किया गया है.

इस तकनीक को विकसित करने में शामिल सहायक आचार्य ड़ॉ. दास ने बताया कि यह तकनीक सड़क की स्थिति, दुर्घटनाओं व यातायात जाम के संबंध में आंकड़ों को उपलब्ध कराकर सड़क सुरक्षा को बढ़ाना है.

ऑन व्हीकल्स नेटवर्क' के माध्यम से एकत्र और साझा किए गए आंकड़ों का विश्लेषण दुर्घटना-संभावित क्षेत्रों और सड़क की स्थिति की पहचान करने के लिए भी किया जा सकता है. इस तकनीक को 'इंटरनेट आफ व्हीकल्स' 'IoV नेटवर्क' के आधार पर काम करती है डॉ. दास ने आगे बताया कि इस तकनीक से सड़क सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने का प्रयास किया गया है.

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तनाव ग्रस्त ड्राइवरों के लिए भी उपयोगी

आमतौर पर देखा जाता है कि अक्सर वाहन चालक तनाव में वाहन चलाते पाए जाते हैं, जिससे कहीं बार सड़क दुर्घटना भी होती है. वाहन चालक का तनाव में वाहन चलाना सड़क पर चल रहे अन्य लोगों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है. इस तकनीक की मदद से चालक के गाड़ी चलाने के पैटर्न का एनालिसिस किया जा सकता है और उस आधार पर यह भी पता लगाया जा सकता है कि कहीं वह चालक तनाव में तो वाहन नहीं चला रहा है.

ड्राइवरों के तनाव में मिलेगी चेतावनी

अगर इसमें वाहन चालक तनाव में ड्राइविंग करते पाया जाता है तो इसे रोकने के लिए कई तरह के कदम उठाए जा सकते हैं. जैसे चालक को लगातार की जा रही यात्राओं के बीच में चेतावनी का संदेश देकर सतर्क किया जा सकता है. इसके अलावा अभी इसमें कई फीचर्स भी दिए गए हैं. जिसमें एक डीडी-मानीटर, टेस्टबेड विकसित किया है. जो 'रियल टाइम' में ड्राइविंग का डेटा इकट्ठा कर सकता है और असामान्य ड्राइविंग पैटर्न को पहचान पर वाहन चालक के तनाव का आकलन कर सकता है, उसके अलावा माता-पिता अपने बच्चे की निगरानी भी कर सकते हैं.

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