Nahargarh Sanctuary Land: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) सेंट्रल जोन, भोपाल ने नाहरगढ़ अभ्यारण्य की वन भूमि पर अवैध औद्योगिक गतिविधियों को लेकर रीको को नोटिस जारी किया है. आरोप है कि रीको ने बीड़ पाकड़ क्षेत्र की करीब 3 हेक्टेयर जमीन पर 40 से 45 साल पूर्व अवैध रूप से फैक्ट्रियां बसवा दीं. यह जमीन वन विभाग के नाम दर्ज पाई गई है.
वन विभाग की रिपोर्ट में सामने आया कि इस क्षेत्र में सघन औद्योगिक एरिया विकसित हो चुका है, जबकि राजस्व रिकॉर्ड में यह भूमि नाहरगढ़ अभ्यारण्य की श्रेणी में दर्ज है. जांच दल ने सीमाज्ञान कर 18 अक्टूबर 2024 को रिपोर्ट दी. इसमें खसरा नंबर 7/2 को वन भूमि मानते हुए कहा गया कि यह रीको की स्वीकृत भूमि में शामिल नहीं है.
रीको के वरिष्ठ उपमहाप्रबंधक केके कोठारी ने 14 फरवरी 2025 को मुख्यालय को भेजे पत्र में स्वीकार किया कि संबंधित जमीन का नामांतरण रीको के नाम नहीं हुआ है और रिकॉर्ड भूमि शाखा में उपलब्ध नहीं है.
विवाद की जड़
1971 में नाहरगढ़ क्षेत्र को अभ्यारण्य घोषित होने से पहले सरकार ने इसके कुछ हिस्से वीकेआई इंडस्ट्रियल एरिया के लिए रीको को दिए थे. बीड़ पाकड़ का खसरा नंबर 7 भी इसी में शामिल था, मगर खसरा 7/2 का ट्रांसफर पूरा नहीं हो सका. बाद में रीको ने इसी जमीन पर कब्जा कर औद्योगिक इकाइयां स्थापित कर दीं.
पर्यावरणीय संकट भी जुड़ा
पर्यावरण विशेषज्ञों ने सवाल उठाया है कि वीकेआई इंडस्ट्रियल एरिया वन भूमि पर बनाना अदूरदर्शिता थी. इससे अभ्यारण्य के पारिस्थितिकी तंत्र को गहरी क्षति पहुंची है और जंगली जानवरों के आबादी क्षेत्रों में आने की घटनाएं बढ़ी हैं.
समिति ने की कार्रवाई की मांग
नाहरगढ़ वन एवं वन्यजीव संरक्षण समिति के सचिव कमल तिवाड़ी ने मांग की है कि वन विभाग विवादित भूमि पर कब्जा लेकर रीको पर पर्यावरण और वन्यजीव कानूनों के तहत जुर्माना व दंड की कार्रवाई करे. साथ ही, अवैध फैक्ट्रियों को हटाकर वहां वृक्षारोपण या नर्सरी स्थापित की जाए ताकि क्षेत्र की पारिस्थितिकी बहाली संभव हो सके.
यह भी पढ़ें- राजस्थान कांग्रेस में बड़ा बदलाव, 45 जिलाध्यक्षों की सूची जारी; पूर्व मंत्री-विधायकों को भी मिली कमान