जोधपुर में छात्राओं के मुंह ढक कर आने पर स्कूल ने जताई आपत्ति, अभिभावकों ने किया विरोध

जोधपुर में छात्राओं के मुंह ढक कर स्कूल आने पर प्रिंसिपल ने आपत्ति जताई है. हालांकि अभिभावकों का कहना है कि बच्चे हिजाब नहीं बल्कि मुंह ढक कर स्कूल आती है. वह एक मास्क की तरह है.

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जोधपुर में छात्राओं के मुंह ढक कर आने पर आपत्ती

Jodhpur News: राजस्थान के जोधपुर में ग्रामीण जिले के पीपाड़ कस्बे की सरकारी स्कूल में कुछ अल्पसंख्यक छात्राओं के पहनावे को लेकर विवाद हो गया. अभिभावकों को स्कूल में प्रधानाचार्य के सामने जमकर भड़ास निकाली. आरोप लगाया कि स्कूल के टीचर ने उनकी बच्चियों को यूनिफॉर्म को लेकर बाहर निकाल दिया. पूरे घटनाक्रम का एक वीडियो भी सामने आया जिसमें अभिभावक प्रधानाचार्य के सामने विवाद कर रहे हैं. प्रधानाचार्य वीडियो में कहते नजर आ रहे है कि सरकार के निर्देश पर निर्धारित यूनिफॉर्म में आना होगा. इसके बिना प्रवेश नहीं दे सकते. विवाद की जानकारी मिलने पर पुलिस भी स्कूल पहुंची. 

प्रधानाचार्य रामकिशोर सांखला ने बताया कि बालिकाएं अन्य कपड़े से सर व मुंह ढक कर आ रही थी. इसके लिए उन्हें मना किया गया. उन्होंने बताया कि बच्चों को स्कूल से निकाला नहीं गया था बल्कि उन्हें अभिभावकों को बुलाने के लिए भेजा गया था. बातचीत में तय हुआ है कि सर ढकने में सरकारी गणवेश की निर्धारित चुन्नी का इस्तेमाल करें. इस पर अभिभावक भी सहमत हुए है. बाकी सोमवार को बच्चों के आने पर पता चलेगा कि वह नियम को मान रहें है या नहीं. इस प्रकरण से अधिकारियों को अवगत करवा दिया गया है.

अभिभावकों ने कहा बच्चे हिजाब नहीं पहनते बल्कि मुंह ढकते हैं

बताया जा रहा है कि स्कूल में कई बालिकाएं यूनिफॉर्म के अतिरिक्त सर व मुंह ढकने के लिए कपड़े (हिजाब जैसा) का इस्तेमाल करती है. जिसको लेकर उनको टोका जा रहा था. अभिभावकों ने कहा कि मुंह ढकना एक तरह से मास्क लगाना है. जो वो पहन कर आ रहे है वो हिजाब नहीं है. मुंह पर मास्क लगाना मना नहीं है. आरोप लगाया कि किसी अध्यापक ने मुंह ढकने पर बच्चियों को चंबल के डाकू की तरह लगने का भी कहा. जिससे अभिभावक नाराज नजर आए. स्कूल आए एक पार्षद ने शिक्षकों को यहां तक कहा गया की सरकार आज है कल चली जाएगी. इस तरह से टॉर्चर नहीं किया जा सकता.

90 प्रतिशत अल्पसंख्यक विद्यार्थी

गणपति चौराहा स्थिति सरकारी स्कूल में 500 से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययनरत है. इनमें 90 फीसदी अल्पसंख्यक हैं. यही कारण है कि शनिवार को हुए विवाद के बाद सभी की नजरें सोमवार पर टिकी है. सोमवार को विद्यार्थी और अभिभावक के रुख से स्थिति साफ होगी.

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