Rajasthan Politics: राजस्थान में इन सात विधायकों ने बिगाड़ा BJP का गणित, शाह ने भी माना कम हो रही हैं भाजपा की सीटें 

इस बार राजस्थान भाजपा का गणित बिगड़ने में अन्य समीकरणों के अलावा राजस्थान के सात विधायकों ने भी बड़ी भूमिका अदा की है. विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद इन नेताओं ने लोकसभा चुनाव में भी अपनी ताल ठोकी है न केवल मज़बूती से चुनाव लड़ा है बल्कि भाजपा के सारे समीकरण भी बिगाड़ दिए हैं. 

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Lok Sabha Elections 2024: राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटों को लेकर भले ही भाजपा नेता क्लीन  स्वीप का दावा कर रहे हों लेकिन अमित शाह ने सीटों के कम होने का बयान देकर सबको चौंका दिया है. दरअसल अमित शाह ने एक इंटरव्यू में ये कहा है कि  राजस्थान में उनकी ज़्यादा नहीं एक दो सीट कम हो सकती है. शाह के इस बयान ने राजस्थान भाजपा के नेताओं को परेशानी में डाल दिया हैं क्योंकि कांग्रेस नेता लगातार राजस्थान में अपनी सभी सीटों के जीतने का दावा कर रहे हैं. 

जहां भाजपा कमज़ोर वहां सामने विधायक 

लेकिन अगर भाजपा कुछ सीटें हार रही हैं तो सबसे बड़ा सवाल है कि राजस्थान में इस बार भाजपा का गणित क्यों गड़बड़ाया है कहां रणनीतिक चूक हुई है. असल में इस बार राजस्थान भाजपा का गणित बिगड़ने में अन्य समीकरणों के अलावा राजस्थान के सात विधायकों ने भी बड़ी भूमिका अदा की है. विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद इन नेताओं ने लोकसभा चुनाव में भी अपनी ताल ठोकी है न केवल मज़बूती से चुनाव लड़ा है बल्कि भाजपा के सारे समीकरण भी बिगाड़ दिए हैं. 

यहां पर मज़बूत विपक्ष 

वर्तमान में कांग्रेस से विधायक हरीश मीणा टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा सीट, ललित यादव अलवर लोकसभा सीट से, बृजेंद्र ओला झुंझुनूं लोकसभा से, दौसा विधायक मुरारी लाल मीणा दौसा लोकसभा सीट से, हनुमान बेनीवाल नागौर लोकसभा सीट से, बीएपी के विधायक राजकुमार रोत बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट और बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी लोकसभा चुनाव लड़ा हैं. 

विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर 

इस चुनाव में इन विधायकों के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है. लेकिन उनकी प्रतिष्ठा ज़रूर दांव पर है. लोकसभा चुनाव जीतेंगे तो देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद भवन पहुंचेंगे हारने पर भी बतौर विधायक राजस्थान में काम करने का अवसर इनके पास रहेगा. लेकिन यह ज़रूर है कि इन बड़े और क़द्दावर नेताओं की चुनावी मैदान में होने से इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प रोचक और भाजपा के लिए परेशानी भरा हो गया है.

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