Roop Kanwar Sati Case: पति की चिता पर लेटकर खुद के प्राण त्यागने वाले देश के आखिरी सती कांड में बुधवार को कोर्ट का फैसला आया. राजस्थान के सीकर जिले में रूप कंवर की मौत को देश के आखिरी सती कांड के रूप में जाना जाता है. 4 सितंबर 1987 को 18 साल की उम्र में रूप कंवर ने अपने पति के साथ खुद को जला लिया था. उनकी शादी को तब केवल 7 महीने ही हुए थे. 37 साल पुराने दिवराला सती प्रकरण में बुधवार को जयपुर की एक विशेष अदालत ने 8 आरोपियों को दोष मुक्त करार दिया.
सती प्रथा को महिमामंडित करने का था आरोप
विशिष्ट न्यायालय सती निवारण जयपुर द्वितीय ने यह फैसला सुनाया. आरोपियों की ओर से एडवोकेट अमनचैन सिंह शेखावत ने पैरवी की थी. इस मामले में कोर्ट ने महेंद्र सिंह, दशरथ सिंह, श्रवण सिंह सहित 8 आरोपियों को बरी कर दिया है. रूप कंवर की मौत को सती प्रथा के रूप में महिमामंडित किया गया था.
घटनास्थल पर ईंट रखकर चुनरी चढ़ाने लगे थे लोग
रूप कंवर सती कांड में 4 सितंबर 1987 को 18 साल की उम्र में रूप ने पति मालसिंह शेखावत की चिता पर लेटकर खुद को जला लिया था. उनकी शादी को तब केवल 7 महीने ही हुए थे. स्थानीय लोगों ने उनकी मौत के बाद घटनास्थल पर ईंट रखकर चुनरी चढ़ाने लगे थे. साथ ही ऐसी धार्मिक क्रियाएं करने लगे जो रूप कंवर को सती के रूप में महिमामंडित करती हैं.
राजेंद्र राठौड़ का भी केस में आया था नाम
स्थानीय पुलिस ने रूप कंवर के इस कदम को महिमामंडित करने वाले लोगों पर मुकदमा कर दिया. इस मामले में अब तक 11 लोग बरी हो चुके हैं जिनमें पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की कैबिनेट में रहे बीजेपी नेता राजेंद्र राठौर का नाम भी शामिल है. बरी हो चुके लोगों के खिलाफ सबूत नहीं मिले. अब जिन 8 लोगों को बरी किया गया है वो सब स्थानीय हैं.
जयपुर की रहने वाली थी रूप कंवर
जानकारी के अनुसार जयपुर की रहने वाली 18 साल की रूप कंवर की शादी सीकर जिले के श्रीमाधोपुर के दिवराला गांव के रहने वाले माल सिंह शेखावत से हुई थी. शादी के 7 महीने बाद ही माल सिंह की बीमारी से मौत हो गई. 4 सितंबर 1987 को रूप कंवर ने अपने पति मानसिंह शेखावत की चिता पर जला लिया था.
रूप की मौत मामले में 32 लोग हुए थे गिरफ्तार
इस घटना को सती प्रथा के रूप में महिमामंडित किया गया. घटना के बाद सरकार ने मामले में 32 लोगों को गिरफ्तार भी किया था. हालांकि रूप कंवर की मौत के समय गिरफ्तार किए गए सभी 32 आरोपियों को सीकर कोर्ट में अक्टूबर 1996 में ही बरी कर दिया.
रूप कंवर की पहली बरसी पर निकाला था जुलूस
लेकिन इसके बाद रूप कंवर की पहली बरसी पर 22 सितंबर 1988 को राजपूत समाज के लोगों ने देवराला से अजीतगढ़ तक एक जुलूस भी निकाला था. लेकिन बारिश होने के कारण जुलूस ज्यादा आगे नहीं पहुंच सका और रात 8 बजे 45 लोगों ने एक ट्रक से अजीतगढ़ के लिए जुलूस निकाला.
महिमामंडन के आरोप में 45 लोग हुए थे गिरफ्तार
राजपूत समाज की ओर से सती प्रथा का महिमा मंडन करने के आरोप में पुलिस ने 45 लोगों को पकड़कर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई और गिरफ्तारी हुई. गिरफ्तारी के चार दिन बाद ही आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया गया. कई सालों तक कोर्ट में चली सुनवाई के बाद 2004 में अदालत ने 45 में से 25 आरोपियों को बरी कर दिया.
सुनवाई के दौरान 6 आरोपियों को मौत, 6 फरार
सुनवाई के दौरान छह आरोपियों की मौत हो गई और 6 आरोपी फरार घोषित किए गए. इसके बाद एक आरोपी ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया. अब 37 साल पुराने दिवराल सती महिमा मंडन प्रकरण में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आठ आरोपियों को दोष मुक्त करार दिया है.
ब्रिटिश काल से ही सती प्रथा पर लगा है प्रतिबंध
ब्रिटिश काल में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के बाद देश में सती प्रथा का यह आखिरी मामला था. विशिष्ट न्यायालय सती निवारण जयपुर की ओर से सुनाए गए फैसले के बाद एक बार फिर यह मामला चर्चा में आ गया. आरोपियों की ओर से एडवोकेट अमन चैन सिंह शेखावत ने कोर्ट में पैरवी की.
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