राजस्थान में भारत और अमेरिकी सेना दिखाएगी अपनी-अपनी ताकत, 1200 सैनिकों का आतंकियों के खिलाफ होगा अभियान

भारत-अमेरिका संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास का आयोजन हर साल किया जाता है. जो साल 2004 से शुरू हुआ था. इसके बाद से हर साल इस तरह के अभ्यास का आयोजन किये जाते हैं.

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Rajasthan News: राजस्थान में भारत और अमेरिकी सेना के जवान अपनी-अपनी ताकत दिखाने वाले हैं. बीकानेर स्थित महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में भारत और अमेरिकी सेना का संयुक्त युद्ध अभ्यास 9 सितंबर को शुरू हो चुका है. भारत-अमेरिका संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास का 20वां संस्करण है. यह महाजन फील्ड फायरिंग रेंज (Mahajan Field Firing Range) में विदेशी प्रशिक्षण नोड में शुरू हुआ. यह युद्ध अभ्यास 9 सितंबर से लेकर 22 सितंबर तक चलने वाला है. 

भारत-अमेरिका संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास का आयोजन हर साल किया जाता है. जो साल 2004 से शुरू हुआ था. इसके बाद से हर साल इस तरह के अभ्यास का आयोजन किये जाते हैं. इस बार युद्ध अभ्यास आतंकियों के खिलाफ अभियान के लिए किया जा रहा है.

1200 सैनिक करेंगे एक साथ युद्ध अभ्यास

यह संस्करण सैन्य शक्ति और उपकरणों के संदर्भ में संयुक्त अभ्यास के दायरे और जटिलता में उल्लेखनीय वृद्धि का प्रतीक है. 600 सैनिकों की भारतीय सैन्य टुकड़ी का प्रतिनिधित्व राजपूत रेजिमेंट की एक बटालियन के साथ-साथ अन्य हथियारों और सैन्य सेवाओं के कर्मियों द्वारा किया जा रहा है. समान संख्या (600) के अमेरिकी टुकड़ी का प्रतिनिधित्व अमेरिकी सेना के अलास्का स्थित 11वें एयरबोर्न डिवीजन की 1-24 बटालियन के सैनिकों द्वारा किया जाएगा. यानी दोनों ओर से 1200 सैनिक इस अभ्यास का हिस्सा होंगे.

इस संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र जनादेश  के सातवें अध्याय  के तहत सब - कन्वेंशनल  माहौल में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने के लिए दोनों पक्षों की संयुक्त सैन्य क्षमता को बढ़ाना है. यह अभ्यास सेमि डेजर्ट वातावरण में सैन्य कार्यवाही पर केंद्रित होगा.

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भारत-अमेरिका सैन्य युद्ध अभ्यास का लक्ष्य

अभ्यास के दौरान किए जाने वाले सामरिक अभ्यासों में, आतंकवादी कार्रवाई के लिए संयुक्त प्रतिक्रिया, संयुक्त योजना और संयुक्त क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास शामिल हैं जो वास्तविक दुनिया के आतंकवाद विरोधी मिशन का अनुकरण करते हैं. यह युद्ध अभ्यास दोनों पक्षों को संयुक्त अभियान चलाने की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम बनाएगा. इससे दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता, भाई चारा और ताल मेल विकसित करने में मदद मिलेगी. संयुक्त अभ्यास से रक्षा सहयोग भी बढ़ेगा, दोनों मित्र राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे.

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