मरुधरा की जीवनदायिनी कही जाने वाली इंदिरा गांधी नहर (Indira Gandhi Canal) में इन दिनों जरूरत से ज्यादा पानी छोड़ने जाने से अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए हैं. जैसलमेर की इंदिरा गांधी नहर में जरूरत व खपत क्षमता से अधिक पानी की आवक होने से इंदिरा गांधी नहर परियोजना अधिकारियों के हाथ-पैर इसलिए फूलने लगे है, क्योंकि जरूरत से दोगुना पानी का रेगुलेशन करना व इस दौरान नहर की माइनर्स को नुकसान से बचाना एक बड़ी चुनौती बन गया है.
बारिश न होने से सूख रहीं थीं फसलें
विभाग के अधिकारियों की निगरानी में तमाम कर्मचारी फील्ड में जुटकर पानी के रेगुलेशन का प्रयास कर रहे हैं, ताकि नहर को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सके. इंदिरा गांधी नहर परियोजना के अधिकारियों के अनुसार लगभग 3400 क्यूसेक पानी नहरों में पहुंचा है, जिससे अब रेगुलेशन करना चुनौती हो गई है.
गौरतलब है कि पहले नहर में पानी कम था और समय पर बारिश भी नहीं हुई जिससे किसानों की आधी फसलें सूख गई. जानकारी के अनुसार हनुमानगढ़ और गंगानगर में अधिक बारिश के कारण क्षेत्र में नहरों से पानी की जबरदस्त पानी की आवक हुई है. जिससे अंतिम छोर पर बसे जैसलमेर में डिमांड से कई गुना अधिक मात्रा में पानी पहुंचा है, जिससे अधिकारियो के पसीने छूट रहे हैं.
क्षमता से अधिक नहर में आया पानी
बताया जाता है कि इंदिरा गांधी नहर में अधिक पानी आने से नहरों को टूटने का खतरा बढ़ गया है. इससे अब सभी अधिकारी और कर्मचारी फील्ड में उतर गए है. पानी का वितरिकाओं में रेगुलेशन किया जा रहा है, ताकि नहर में पानी का लोड कम किया जा सके.
2000 क्यूसेक पानी की डिमांड की गई थी
इंदिरा गांधी नहर परियोजना के अधीक्षक अभियन्ता आर. सी. मीणा ने बताया की 2000 क्यूसेक पानी की डिमांड की गई थी. इन दिनों जरूरत केवल 1700 क्यूसेक पानी की है, लेकिन डिमांड से कई ज्यादा पानी जैसलमेर पहुंचा है. कैनाल में क्षमता के अनुसार पानी का स्टोर किया जा रहा है.
हर तीन घंटे में नहर की निगरानी कर रहे हैं अधिकारी
वहीं, नहर में आए अतिरिक्त पानी का आगे रेगुलेशन किया जा रहा है. हर तीन घंटे में हेड पर गेज आता है. नहर की पानी की स्थिति का पता लगाया जा रहा है और IGNP मुख्य नहर का हर तीन घंटे में बुलेटिन जारी किया जा रहा है ताकि नहर को सुरक्षित रखकर पानी का रेगुलेशन किया जा सके. बताया गया है कि आगामी तीन दिन तक पानी निकलने के द्वारों को खोलकर रेगुलेशन किया जाएगा, ताकि पानी के लोड को कम किया जा सके.