भारत के वैज्ञानिकों ने रचा इतिहास, माउंट आबू से रहस्यमय धूमकेतु की खींची तस्वीर

माउंट आबू स्थित PRL का 1.2-मीटर टेलीस्कोप 1680 मीटर की ऊंचाई पर गुरूशिखर के पास स्थापित है और इसका उपयोग एक्सोप्लानेट खोज, उच्च-ऊर्जा घटनाओं और सौरमंडल अनुसंधान में किया जाता है.

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माउंट आबू से रहस्यमय धूमकेतु की खींची तस्वीर

Rajasthan News: भारतीय वैज्ञानिकों ने इतिहास रचते हुए माउंट आबू से रहस्यमय धूमकेतु की तस्वीर खींची है. इसरो (ISRO) और फिज़िकल रिसर्च लेबोरेटरी (PRL) के वैज्ञानिकों ने माउंट आबू स्थित 1.2 मीटर टेलीस्कोप की मदद से इंटरस्टेलर धूमकेतु 3I/ATLAS का सफलतापूर्वक अवलोकन किया है. यह धूमकेतु सूर्य के नज़दीकी बिंदु को पार करने के बाद अब आंतरिक सौरमंडल से बाहर की ओर बढ़ रहा है. 12 से 15 नवंबर 2025 के बीच माउंट आबू स्थित 1.2 मीटर टेलीस्कोप की मदद से धूमकेतु की इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी दोनों मोड में विस्तृत अध्ययन किया.

दिखाई दिया धूमकेतु का कोमा

फॉल्स कलर छवि (चित्र-1) में धूमकेतु का गोल आकार का कोमा स्पष्ट दिखाई देता है. कोमा धूमकेतु के नाभिक के चारों ओर बनने वाली धुंधली, चमकीली गैस और धूल की परत होती है, जो सूर्य की गर्मी से बर्फ पिघलने पर बनती है. वर्तमान अवलोकन ज्यामिति के अनुसार धूल की पूंछ, यदि मौजूद हो, तो पृथ्वी से देखने पर सूर्य की दिशा के उलट यानी धूमकेतु के पीछे की ओर होगी.

विस्तृत मल्टी-बैंड इमेजिंग से आयन टेल भी दिखाई दे सकती है. इमेजिंग के साथ ही वैज्ञानिकों ने सुबह के उजाले से पहले धूमकेतु का स्पेक्ट्रम भी रिकॉर्ड किया. धूमकेतु विज्ञान की भाषा में नाभिक से गैसों के निकलने की दर को 'प्रोडक्शन रेट' कहा जाता है. यह धूमकेतु की गतिविधि का प्रमुख संकेतक होता है. 

1680 मीटर की ऊंचाई पर गुरूशिखर के पास है 1.2-मीटर टेलीस्कोप

PRL के वैज्ञानिकों ने बताया कि जैसे-जैसे धूमकेतु गहरे रात वाले हिस्से में प्रवेश करेगा, उसके और भी उच्च-गुणवत्ता वाले अवलोकन जारी रहेंगे. माउंट आबू स्थित PRL का 1.2-मीटर टेलीस्कोप 1680 मीटर की ऊंचाई पर गुरूशिखर के पास स्थापित है और इसका उपयोग एक्सोप्लानेट खोज, उच्च-ऊर्जा घटनाओं और सौरमंडल अनुसंधान में किया जाता है.

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