डूंगरपुर में शुरू हुआ जैन समाज का दश लक्षण पर्यूषण पर्व, मुनि सुधीन्द्र सागर ने श्रद्धालुओं को बताए धर्म के 10 लक्षण 

राजस्थान के डूंगरपुर जिले में जैन समाज का दश लक्षण पर्यूषण पर्व शुरू हो गया है, जिसमें मुनि सुधीन्द्र सागर ने श्रद्धालुओं को धर्म के 10 लक्षण का ज्ञान दिया.  

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Rajasthan News: राजस्थान के डूंगरपुर जिले में दिगम्बर जैन समाज का दशलक्षण पर्यूषण पर्व आज से शुरू हो गया है. इसी बीच जिलेभर के सभी दिगम्बर जैन जिनालयों में पर्यूषण पर्व के पहले दिन को उत्तम क्षमा दिवस के रूप में मनाया गया. साथ ही पर्व मनाने के लिए बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालु जिनालयों में पहुंचे और भगवान नेमिनाथ का अभिषेक कर शांतिधारा का पाठ किया. वहीं जिले में जैन मुनियों ने और आचार्यों ने धर्मसभा को भी संबोधित किया.  

श्रद्धालुओं ने इशु रस से किया अभिषेक

जैन समाज का सबसे बड़ा पर्यूषण महापर्व आज धूमधाम के साथ शुरू हो गया है. 10 दिवसीय महापर्व में सुबह से जैन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिल रही है. जैन समाज के लोग जैन परम्परा के अनुसार, सफेद वस्त्र धारण कर मंदिर पहुंचे. शहर के सबसे पुराने गंभीरा पाश्र्वनाथ मंदिर में भीड़ देखने को मिली. इस मंदिर में भगवान का अलग-अलग दव्यों से अभिषेक किया गया. श्रद्धालुओं ने इशु रस (गन्ने का रस) से भगवान का अभिषेक किया. वहीं महिलाओं ने भी मंदिर में पूजा अर्चना की और घर परिवार में खुशहाली की कामना की. शहर के शामलाजी ऊंडा मन्दिर में जैन समाज के लोगों ने ध्वजा चढ़ाई. आगामी 10 दिनों तक दिगंबर जैन समाज की ओर से विभिन्न धार्मिक आयोजन होंगे जिसमें तपस्वी व्रत और तप वंदना करेंगे.

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महिलाओं ने शोभायात्रा में गरबा खेला

श्वेताम्बर जैन समाज द्वारा पर्यूषण पर्व समापन पर शहर में शोभायात्रा निकाली गई. यात्रा में जैन समाज के लोगों ने भगवान के वरघोड़ा में पूजा-अर्चना की. महिलाओं ने शोभायात्रा में गरबा भी खेला. साथ ही क्षेत्र में मौजूद चतुर्थ कालीन पारस प्रभु की अतिशय प्रतिमा की पूजा की गई. गैजी में विराजमान मुनि सुधींद्र सागर के मार्गदर्शन में मंदिर में पूजा-अर्चना की गई. दशलक्षण महापर्व पर विशेष पूजा सोलह कारण संघस्थ बाल ब्रह्मचारी मयंक भैया ने कराई. 

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धर्म के 10 लक्षणों का मतलब बताया 

मुनि सुधीन्द्र सागर ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यूषण पर्व शरीर को सजाने के लिए नहीं, आत्मा को साफ करने का पर्व होता है. धर्म के दस लक्षण का मतलब धर्म को दस भागों में विभाजित किया गया है. पहला दिन उत्तम क्षमा और क्रोध को हमेशा के लिए खत्म करने का होता है. दूसरा मनुष्य को प्रतिकूलता में भी अनुकूलता बना कर क्षमा का भाव धारण कर क्रोध पर विजय प्राप्त करने का होता है. इस अवसर पर जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे.

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