Jaipur Gas Tanker Blast: आग की लपटों में फंसे लोग... खुद को बचाने की कोशिश, जयपुर गैस टैंकर हादसे का युवकों ने बताया खौफनाक पल

जयपुर-अजमेर हाईवे पर गैस टैंकर में ब्लास्ट के बाद हुए भीषण अग्रिकांड ने 35 से अधिक वाहनों को अपनी चपेट में ले लिया. जिससे अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 30 से अधिक घायल अस्पताल में भर्ती हैं.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
जयपुर गैस टैंकर हादसे का खौफनाक पल

Jaipur Ajmer Highway Fire Accident: जयपुर-अजमेर हाईवे पर भांकरोटा इलाके में शुक्रवार की सुबह एलपीजी टैंकर ब्लास्ट के बाद हुए भीषण अग्निकांड में रिटायर्ड आईएएस करणी सिंह राठौड़ समेत 14 लोगों की मौत हुई. हादसे के वक्त पास में मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि चीख पुकार और आग की लपटों को वे कभी भूल नहीं सकते हैं. कई लोग खुद को बचाने के लिए खेत की तरफ भाग रहे थे और उनके कपड़े जल रहे थे. इस हादसे की तस्वीरें और वीडियो देखकर हर कोई कांप जाता है. हादसा इतना भयानक था कि कई के शव की पहचान कर पाना मुश्किल हो गया. एक शव के अवशेष को तो पोटली में रखकर अस्पताल ले जाना पड़ा.

ताउम्र याद रहेगी हादसे की चीख-पुकार

इस हादसे में चमत्कारिक ढंग से बच निकले युवकों का कहना है कि हादसे का वो खौफनाक मंजर ताउम्र डराता रहेगा. जो स्लीपर बस जयपुर अग्निकांड में जल गई, उसमें राजसमंद जिले के जगदीश रेगर (30) और सुनील खटीक (28) भी यात्रा कर रहे थे, वे दोनों बस में आग लगने से ठीक पहले किसी तरह बाहर निकलने में सफल रहे. दोनों का कहना है कि लोगों की चीख पुकार और आग की लपटों को वे कभी भूल नहीं सकते हैं.

Advertisement
मोही निवासी जगदीश कहते हैं, जब एक तेज विस्फोट ने रात के सन्नाटे को तोड़ दिया. हम जयपुर से करीब 10 किलोमीटर दूर थे कि एक तेज धमाके की आवाज सुनी. आग की लपटें आसमान में उठ रही थीं और कुछ ही पलों में हमारी बस भी उस आग की चपेट में आ गई.

खिड़की का शीशा तोड़ बचाई जान

लोग चीख रहे थे और भाग निकलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन दरवाजा बंद था. पूरी तरह अराजकता और दहशत का माहौल था. कांकरोली के भवानीनगर में रहने वाले सुनील का कहना है कि आग बहुत तेज़ी से फैली. हमने खिड़की से बाहर देखा और चारों तरफ आग की लपटें देखीं. हमारी बस भट्टी में तब्दील हो रही थी. हमें पता था कि अगर हमें बचना है तो हमें तुरंत कुछ करना होगा. इसके बाद हमने ग्रिल तोड़ दी और खिड़की का शीशा भी तोड़ दिया. हमारे हाथ जल रहे थे, लेकिन हम रुके नहीं. हम बस से बाहर कूद और भागते चले गए. दूर जाकर खेत में रुके. 

Advertisement

चोटिल होने के बावजूद ये दोनों युवक अपने परिवारों से संपर्क करने में कामयाब रहे. हमने अपने परिजनों को फोन करके बताया कि हम जीवित हैं. हम जानते थे इस भीषण हादसे ने अनेक जिंदगियां ली ली हैं. सुनील को जयपुर में पारिवारिक परिचित गिरिराज व्यास से मदद मिली. उनके परिचित घटनास्थल पर पहुंचे, अस्पताल ले गए और सुनिश्चित किया कि हमें उपचार मिले.

Advertisement

कैसे हुआ जयपुर गैस टैंकर हादसा, 14 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन; जांच के लिए SIT गठित

जयपुर गैस टैंकर हादसे पर विशेषज्ञों का कहना है कि हाईवे पर उचित और पर्याप्त संकेत (साइन) नहीं होना, अधूरा निर्माण कार्य, अचानक 'कट' और लोगों में यातायात की पूरी समझ नहीं होना इस दुर्घटना का कारण हो सकती है. 

राजस्थान के मुख्य सचिव की यातायात प्रबंधन समिति के पूर्व सदस्य जॉर्ज चेरियन ने कहा, "जयपुर-अजमेर का यह हिस्सा दुर्घटना संभावित इलाकों में से है, जहां खराब यातायात प्रबंधन और मौजूदा निर्माण कार्य से स्थिति खतरनाक हो गई. ऐसे बड़े टैंकरों को हाईवे पर 'यू-टर्न' लेने से रोकने के लिए भौतिक उपाय किए जाने चाहिए थे. तेज गति से चल रहे वाहन को ब्रेक लगाना और रोकना मुश्किल होता है. 2022 में राजस्थान में सड़क दुर्घटनाओं में 13 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि मौतों में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 

सड़के हादसे में राजस्थान में सबसे ज्यादा मौत

राजस्थान सरकार के एक आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में दुर्घटनाओं की संख्या उसके पिछले वर्ष के 20,951 की तुलना में बढ़कर 23,614 हो गई. 2023 में देश में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली 1,73,000 मौत में से लगभग 55 प्रतिशत राजस्थान सहित छह बड़े राज्यों में हुईं. राज्य सरकारों द्वारा केंद्र को भेजे गए आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में मौतों में सबसे तेज वृद्धि देखी गई, जो 2022 की तुलना में लगभग छह प्रतिशत की वृद्धि है. 

बगरू उद्योग मित्र के सह-संयोजक नवनीत झालानी लगभग हर दिन इस दुर्घटना स्थल से गुजरते हैं, उनका कहना है, "इस दुर्घटना की नींव छह साल पहले तब पड़ी, जब चुनावी आचार संहिता के चलते रिंग रोड का उद्घाटन जल्दबाजी में किया गया था. व्यस्त राजमार्ग पर क्लोवर लीफ बनाई जानी चाहिए थी जो अब भी नहीं बन पाई. हमने इस संबंध में एनएचएआई को कई ज्ञापन दिए हैं" 

सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. प्रेरणा अरोड़ा सिंह ने कहा कि चौराहे पर हाई मास्क लाइट नहीं है. सर्दियों में दृश्यता बहुत कम हो जाती है. 'कट' पर किसी भी प्रकार का रेडियम, रिफ्लेक्टर, सिग्नल, मार्कर नहीं है. चौराहे पर बने 'कट' की चौड़ाई कम है और कंटेनर या गैस टैंकर जैसा कोई बड़ा ट्रक वहां से मुड़ता है तो यह दोनों तरफ से सड़क को अवरुद्ध कर देता है। संभवतः यह दुर्घटना का कारण हो सकता है. 

यह भी पढ़ें- जयपुर अग्निकांड पर हाईकोर्ट ने लिया स्वत:संज्ञान, राज्य और केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस; 10 जनवरी को करेंगे अलगी सुनवाई