जयपुर अग्निकांड के घायलों और मृतकों की कैसे हुई पहचान? SMS हॉस्पिटल में IT एक्सपर्ट ने ऐसे जुटाई जानकारी

राजस्थान में जयपुर-अजमेर हाईवे के भांकरोटा में हुए अग्नि हादसे में SMS अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ की बहुत बड़ी भूमिका रही. जिसमें उन्होंने घायलों और मृतकों के परिजनों को देकर मिलाने के लिए डेडीकेटेड कंट्रोल रूम बनाकर हेल्पलाइन नंबर जारी किया.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
जयपुर अग्निकांड की तस्वीर.

Jaipur Fire Accident  News: राजस्थान में जयपुर जिले के भांकरोटा में हुए हादसे के बाद चिकित्सा विभाग ने काफी संवेदनशीलता और सजगता दिखाई है. जिसमें दुर्घटना स्थल से एसएमएस अस्पताल तक मरीजों को पहुंचाने के लिए ट्रैफिक व्यवस्था बदली गई. अजमेर हाईवे पर दमकल, पुलिस की गाड़ियां, सिविल डिफेंस और अधिकारियों के अलावा सभी वाहनों का प्रवेश रोक दिया गया. इससे एंबुलेंस कम समय से अस्पताल पहुंच पाए.

तीन दिन पहले जिस आईसीयू को तैयार किया गया था, वहां भी मरीजों को भर्ती कराया गया. इससे ज्यादा संख्या में मरीजों को तुरंत उचित इलाज मिल पाया.

Advertisement

परिजनों के लिए जारी किया हेल्पलाइन नंबर 

हादसे की सूचना मिले के बाद SMS अस्पताल प्रबंधन ने डॉक्टरों की टीम तैयार की. इसके बाद बर्न वार्ड में पहले से जो मरीज भर्ती थे, उन्हें दूसरे वार्ड में भर्ती किया गया, ताकि इस घटना में घायलों को जरूरी उपचार मिल पाए. फिर एक डेडीकेटेड कंट्रोल रूम बनाकर हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया. इससे परिजनों के लिए सूचना हासिल करना आसान हुआ. 

Advertisement

जन आधार और आधार से निकाला मरीजों का पता

घटना में घायल हुए लोगों की पहचान जरूरी थी. इसलिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से आईटी विशेषज्ञों की टीम बुलाई गई. जिन्होंने मरीज के मोबाइल नंबर से जन आधार और आधार के माध्यम से परिवारजनों का विवरण निकालकर उनको घटना की सूचना दी. इसके बाद मरीज के  परिवार जनों को हॉस्पिटल में बुलाकर उनसे मिलाया गया. इस दौरान परिजनों का भी पूरा ध्यान रखा गया. उनको व्यवस्थित ढंग से पर्ची देकर प्रोटोकॉल का पालन करते हुए एक-एक को उनके परिवार जनों से मिलाया गया. 

Advertisement

घायलों की बनाई गई लिस्ट

वहीं जो घायल दूसरे अस्पतालों में भर्ती हुए थे, उनकी भी लिस्ट बनाई गई. पुलिस टीम से समन्वय कर जलने वाले गाड़ियों की सूची बनाई गई. इसके बाद उनके मालिकों का पता किया गया और परिजनों को सूचना दी गई. इसके बाद उदयपुर की लेक सिटी ट्रेवल्स की बस में कुल कितने लोग थे, इसकी जानकारी जुटाई गई. जिसमें ट्रेवल्स वाले से सूची लेकर उनकी मैपिंग कराई गई. इसके बाद लापता लोगों की तलाश की गई. 

5 मृतकों की नहीं हुई पहचान

5 मृतकों की पहचान नहीं हुई है. कुछ लोग परिजनों को ढूंढ रहे हैं. इसलिए DNA सैंपल लेकर FSL भेजा जा रहा है, ताकि उनके परिजनों की पहचान हो सके. इस पूरी प्रक्रिया में चिकित्सा शिक्षा शासन सचिव अम्बरीष कुमार एसएमएस कॉलेज के प्रधानाचार्य दीपक माहेश्वरी और अस्पताल अधीक्षक सुशील भाटी ने मोर्चा संभाला था. कंट्रोल रूम की व्यवस्था मेडिकल एजुकेशन के एडिशनल डायरेक्टर नरेश गोयल ने संभाली थी.

यह भी पढ़ें- 12 लोग जिंदा जले, 45 झुलसे, 37 गाड़ियों का सिर्फ लोहा बचा; जयपुर-अजमेर हाईवे के भीषण अग्निकांड की पूरी कहानी