Rajasthan: 'स्कूल में रंग लाए तो परीक्षा में नहीं बैठने देंगे', होली मनाने पर रोकने से भड़के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, बोले- कानूनी कार्रवाई करेंगे

Jaipur School Holi Celebration Controversy: सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस फैसले को व्यावहारिक मान रहे हैं, वहीं कई लोग इसे सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर हमला करार दे रहे हैं. ऐसे में अब सभी की नजर सीबीएसई के फैसले पर टिकी हैं.

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राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्कूल में होली मनाने पर रोक को गंभीरता से लिया है.

Rajasthan News: राजस्थान की राजधानी जयपुर (Jaipur) के एक स्कूल में बच्चों के होली (Holi) खेलने पर रोक लगा दी गई है, जिसके बाद विवाद बढ़ गया है. राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर (Madan Dilawar) ने इसे गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई करने की बात कही है. मंगलवार सुबह उन्होंने कहा, 'होली रंगों और श्रद्धा का त्योहार है, जिसे भारत में हर कोई धूमधाम से मनाता है. लेकिन, एक स्कूल में यह आदेश जारी किया गया कि अगर कोई छात्र होली मनाते हुए पाया गया तो उसे परीक्षा देने से रोक दिया जाएगा. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. कोई भी शैक्षणिक संस्थान इस तरह के सांस्कृतिक प्रतिबंध नहीं लगा सकता. हम केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को पत्र लिखकर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की मांग करेंगे.'

स्कूल प्रशासन ने पेरेंट्स को भेजा था मैसेज

स्कूल प्रशासन ने पेरेंट्स को एक मैसेज भेजा था, जिसमें कहा गया, 'होली का त्योहार नजदीक है. हम छात्र-छात्राओं से अनुरोध करते हैं कि वे स्कूल में रंग न लाएं. यह फैसला सभी छात्रों के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है. अगर, किसी स्टूडेंट के पास रंग पाया गया तो उसे एग्जाम में नहीं बैठने दिया जाएगाा.' इस नोटिस को पढ़कर अभिभावक नाराज हो गए और कई संगठन भी इस फैसले को भारतीय संस्कृति और परंपराओं के खिलाफ मानने लगे.

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सीबीएसई के फैसले पर सबकी नजर

इस साल होली 14 मार्च को है. यह हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में एक है, जिसे प्यार और रंगों के साथ मनाने के लिए सभी लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं. जैसे-जैसे त्योहार की डेट नजदीक आने लगती है, लोगों को उत्साह बढ़ने लगता है. कई शहरों में अलग-अलग परंपराओं से यह त्योहार मनाया जाता है. लेकिन जयपुर के एक स्कूल के फैसले से शुरू हुआ यह विवाद बढ़ता जा रहा है. सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसे व्यावहारिक मान रहे हैं, वहीं कई लोग इसे सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर हमला करार दे रहे हैं. ऐसे में अब सभी की नजर सीबीएसई के फैसले पर टिकी है.

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