Rajasthan: सिर्फ एक तार से बदल दिया दिल का वाल्व, देश में पहली बार ‘बैटमैन प्रक्रिया’ से हुआ अनोखा इलाज

Electrosurgery in India: इसे ‘बैटमैन प्रक्रिया’ भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें उपयोग होने वाला गुब्बारा बैटमैन की टोपी जैसा होता है. इस प्रक्रिया के बाद मरीज को जल्द ही छुट्टी दे दी गई और वह सामान्य जीवन जी रही हैं.

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जयपुर में डॉक्टर्स ने ‘बैटमैन प्रक्रिया’ से बुजुर्ग महिला का हृदय वाल्व बदला. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Rajasthan News: राजस्थान की राजधानी जयपुर में डॉक्टरों ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जो अब तक सिर्फ मेडिकल जर्नल्स में ही पढ़ने को मिलता था. यहां के राजस्थान अस्पताल (RHL) में 74 साल की एक बुजुर्ग महिला का दिल का वाल्व बिना सीना चीरे लगाए किया गया. इसके सर्जरी के लिए एक खास तकनीक ‘इलेक्ट्रोसर्जरी' का इस्तेमाल किया गया, जो देश में इस तरह की यह पहली प्रक्रिया मानी जा रही है.

पहले हो चुकी थी ओपन हार्ट सर्जरी

यह महिला जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर की रहने वाली हैं और पहले भी उनकी ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी थी, जिसमें डुअल वाल्व बदले गए थे. लेकिन अब फिर से एक वाल्व में दिक्कत आने लगी थी. दिल्ली और श्रीनगर के डॉक्टरों ने उम्र और सेहत को देखते हुए दोबारा ओपन सर्जरी से इनकार कर दिया था. इसके बाद परिवार ने इलाज के लिए जयपुर के अस्पताल का रुख किया, जहां सर्जरी की गई.

'सिर्फ एक तार से बदल दिया दिल का वाल्व'

RHL हार्ट सेंटर के अध्यक्ष डॉ. रविंद्र सिंह राव और उनकी टीम ने इस चुनौती को स्वीकार किया और बेहद उन्नत तकनीक से यह जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक की. डॉक्टरों ने बताया कि उन्होंने ‘इलेक्ट्रोसर्जिकल वाल्व-इन-वाल्व माइट्रल' तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसमें एक बारीक विद्युतीकृत तार और विशेष उपकरणों की मदद से पुराने खराब वाल्व को हटाकर नया वाल्व लगा दिया गया. इसमें न तो छाती को चीरना पड़ा, न ही मरीज को लंबी रिकवरी से गुजरना पड़ा. 

'इस बैटमैन प्रक्रिया कहा जाता है'

इसे ‘बैटमैन प्रक्रिया' भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें उपयोग होने वाला गुब्बारा बैटमैन की टोपी जैसा होता है. इस प्रक्रिया के बाद मरीज को जल्द ही छुट्टी दे दी गई और वह सामान्य जीवन जी रही हैं. यह सर्जरी न सिर्फ जयपुर बल्कि पूरे राजस्थान के लिए गर्व की बात है, क्योंकि यह दिखाता है कि अब दिल की गंभीर बीमारियों का इलाज यहां विश्वस्तरीय तकनीक से संभव है.

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