
Rajasthan News: देशभर में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) पर हो रहे अत्याचार को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है. केंद्र सरकार की तरफ जारी आंकड़े इसका साफ संकेत दे रहे हैं. राष्ट्रीय अत्याचार निवारण हेल्पलाइन (14566) पर अब तक 6.34 लाख से ज्यादा कॉल्स दर्ज की गई हैं, जिनमें अकेले राजस्थान से 40,228 शिकायतें आईं हैं.
संसद में दी गई जानकारी
यह जानकारी राज्यसभा में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने बुधवार को दी है. उन्होंने बताया कि यह हेल्पलाइन साल 2020 से शुरू हुई थी और इसका मकसद SC/ST वर्गों की शिकायतों का समाधान करना और उन्हें कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना है.
राजस्थान तीसरे नंबर पर
2020 से जुलाई 2025 के बीच सबसे ज्यादा कॉल्स उत्तर प्रदेश (3.4 लाख से ज्यादा) से आईं. इसके बाद बिहार (59,205) और फिर राजस्थान (40,228) का नंबर रहा. राजधानी दिल्ली से भी 29,000 से ज्यादा कॉल्स दर्ज की गईं.
अधिकतर मामलों पर कार्रवाई
राजस्थान में दर्ज 795 वर्गीकृत शिकायतों में से अब तक अधिकांश मामलों में कार्रवाई की गई है, लेकिन कुछ मामले अभी भी लंबित हैं. ये शिकायतें ज्यादातर पीड़ितों या हेल्पलाइन ऑपरेटरों के माध्यम से दर्ज की गई हैं, जिनमें आरोप पत्र दाखिल करने की मांग, राहत की अपील और कानूनी कार्रवाई शामिल हैं.
हेल्पलाइन पर भरोसा बढ़ा
2020 में जहां सिर्फ 6,000 कॉल्स आई थीं, वहीं 2024 में यह संख्या 1.05 लाख के पार चली गई. यानी लोग अब इस हेल्पलाइन पर भरोसा करने लगे हैं और अत्याचार की घटनाएं रिपोर्ट करने में संकोच नहीं कर रहे.
कानूनी दायरे में ही दर्ज होती हैं शिकायतेंमंत्री आठवले ने स्पष्ट किया कि किसी भी शिकायत को 'अत्याचार' तब ही माना जाता है जब वह दो केंद्रीय कानूनों के तहत आती हो.
- नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 (अछूत व्यवहार के खिलाफ)
- अनुसूचित जाति व जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989
सरकार का कहना है कि इस हेल्पलाइन का उद्देश्य केवल शिकायत दर्ज करना नहीं, बल्कि पीड़ितों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और समय पर न्याय दिलवाना भी है.
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