Jaipur Literature Festival 2024: दुनिया के सबसे बड़े साहित्यिक आयोजनों में शुमार जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2024 (Jaipur Literature Festival 2024) का आगाज एक फरवरी गुरुवार को राजस्थान की राजधानी जयपुर में हुआ. पहले दिन इस फेस्टिवल गीतकार गुलजार, चर्चित लेखक अमीश, अर्थशास्त्री और आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन, क्रिकेटर अजय जेडजा सहित कई नामचीन लोग शामिल हुए. पांच दिवसीय जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का उद्घाटन गुरुवार को डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने किया. पहले दिन बड़ी संख्या में साहित्य और कला प्रेमी कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे. कांग्रेस नेता सचिन पायलट भी जेएलएफ पहुंचे और यहां उन्होंने वक्ताओं और उपस्थित लोगों से मुलाकात की.
पहले दिन कौन-कौन हुए थे शामिल
फेस्टिवल की शुरुआत कलापनी कोमकली के संगीतमय प्रस्तुति से हुई. इसके बाद मशहूर नगाड़ा वादक नत्थूलाल सोलंकी और उनके साथियों ने भी अपनी प्रस्तुति दी. पहले दिन गीतकार गुलजार, चर्चित लेखक अमीश, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री रघुराम राजन, पूर्व राजनयिक पवन के वर्मा, पूर्व क्रिकेटर अजय जडेजा, लेखिका एवं कवियत्री अरुंधति सुब्रमण्यम, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी, लेखिका नमिता गोखले समेत कई वक्ताओं ने अलग - अलग सत्रों में अपने विचार रखे.
दीया कुमारी बोलीं- जयपुर और फेस्टिवल एक-दूसरे के पर्याय
उद्घाटन के मौके पर राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने कहा, “जयपुर और फेस्टिवल एक-दूसरे के पर्याय हैं. आपने इस फेस्टिवल के माध्यम से जयपुर को वर्ल्डमैप पर हाईलाइट कर दिया है. साहित्य आज के समय की मांग है. और इस फेस्टिवल ने सिर्फ साहित्य को ही नहीं, जयपुर के टूरिज्म को भी बहुत सपोर्ट किया है. आज लोग अपनी कांफ्रेंस और बिजनेस मीटिंग्स जयपुर में फेस्टिवल के अनुसार प्लान करते हैं, ताकि वो इसका अनुभव ले सकें.
लेखिका और जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की फाउंडर और को-डायरेक्टर नमिता गोखले ने कहा, “हर साल मैं फेस्टिवल के लिए एक उपमा चुनती हूँ और इस बार मैं फिर से कथासरित्सागर पर लौटती हूँ... ये फेस्टिवल हमारी बदलती दुनिया को समझने का प्रयास है. हम विचार और संवाद का इंद्रधनुष पेश करेंगे.” इतिहासकार, लेखक और जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के फाउंडर और को-डायरेक्टर विलियम डेलरिम्पल ने कहा, “लिटरेचर फेस्टिवल एशिया महाद्वीप पर एक बड़े मूवमेंट के रूप में उभरे हैं, लेकिन इन सबकी शुरुआत यहां से हुई थी. हर साल की तरह इस साल भी हम आपके लिए दुनिया की श्रेष्ठ प्रतिभाओं को लेकर आये हैं.”
गुलज़ार साहब ने अपने नये काव्य-संग्रह पर की बात
‘बाल ओ पर' सत्र की शुरुआत में हरदिल अजीज़ शायर, गुलज़ार साहब ने अपने नये काव्य-संग्रह के बारे में कहा कि ये उनकी अप्रकाशित रचनाओं का संकलन है, और अभी भी उनकी इतनी सारी रचनाएं अप्रकाशित हैं कि उनसे इतनी ही बड़ी एक और किताब बन सकती है. सत्र में अनुवाद की कला, उसकी चुनौतियों और लेखक व अनुवादक के रिश्ते पर भी बात हुई. रख्शंदा जलील ने बताया कि इस किताब का अनुवाद तीन साल पहले शुरू हुआ था, वे लगभग हर दिन मिला करते और हर शब्द, लाइन और कोमा पर चर्चा करते.
अनुवाद पर बोले गुलजार- परफ्यूम की माता कम होती है लेकिन खूशबू नहीं
गुलज़ार साहब की कई अन्य रचनाओं का अनुवाद कर चुके पवन के. वर्मा ने बताया कि कविता का अनुवाद सबसे जटिल कार्यों में से एक है. उन्होंने कहा, “अनुवादक के तौर पर गुलज़ार साहब की कविताएं अनुवाद करना मेरे लिए बहुत सुखद रहा और कभी-कभी अनुवाद से पहले मैंने कई दिन और रात उसी कविता के साथ बिताए.” इस दौरान गुलज़ार साहब ने अनुवाद पर कहा, “मानता हूं कि परफ्यूम की मात्रा थोड़ी कम ज़रूर हो जाती है... लेकिन खूशबू कम नहीं होती.”
जडेजा बोले- देवो के देव थे कपिल देव
जडेजा ने कहा कि आज आम लोगों और क्रिकेट लवर के लिए कपिल देव सिर्फ कपिल देव है. लेकिन हमारे लिए कपिल देव देवों के देव हुआ करते थे. उन्होंने भारतीय टीम के लिए न सिर्फ शानदार इनिंग्स खेली है। बल्कि, टीम को एक मजबूत स्थिति में भी खड़ा किया. मैं सौभाग्यशाली हूं कि मुझे उनके साथ खेलने का मौका मिला। कपिल देव जैसा खिलाड़ी न था ना है और ना होगा. आज के माहौल पर अजय जडेजा ने कहा कि बदकिस्मती से हम अब गलतियों को बर्दाश्त नहीं करते, आप चाहते हैं कि आपके खिलाड़ी हमेशा अच्छा ही खेलें, इसीलिए उसी खिलाड़ी को एक समय में पांच कोच के निर्देश सुनने पड़ते हैं.
‘सोंग्स ऑफ़ मिलारेपा' सत्र गुरु मिलारेपा को समर्पित रहा. सत्र में प्रसिद्ध अकादमिक और लेखक एंड्रू क्विंटमैन ने अभिनेता और लेखक केली दोरजी से संवाद किया. सत्र ‘फिलोसफी, फेंटेसी एंड फ्रीडम' में तमिल और मलयालम लेखक बी. जेयामोहन के विस्तृत और विविध लेखन पर चर्चा हुई. ‘ए बिगर पिक्चर' सत्र में ऑस्ट्रेलिया के भूतपूर्व प्रधानमंत्री माल्कोल्म टर्नबुल और लेखक और भूतपूर्व राजनयिक नवदीप सूरी ने अपने कार्यकाल को याद किया.
2023 के बुकर प्राइज से सम्मानित लेखक पॉल लिंच ने बताया कि वह पहली बार भारत आने पर काफी रोमांचित हैं. भारत की बहुरंगी ख़ूबसूरती की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इसके सामने आयरलैंड में उनका होमटाउन लिमेरिक तो एक रंग का ही है. पर्यावरण को समर्पित एक सत्र, ‘इंटरटाइडल' में सभी वक्ताओं ने प्रकृति से जुड़े अपने अनुभवों पर बात की. ‘लेसन इन कैमिस्ट्री' सत्र की शुरुआत में अमेरिकी लेखिका और कॉपीराइटर, बोनी गार्मुस बताती हैं कि उन्हें अपनी किताब लिखने की प्रेरणा मेल-डोमिनेटेड वर्कप्लेस में एक बुरे दिन से मिली.
‘ब्रेकिंग द मोल्ड' सत्र में आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन ने रोहित लाम्बा के साथ सह-लेखन में लिखी, ‘ब्रेकिंग द मोल्ड: रीइमेजनिंग द इकोनोमिक फ्यूचर' पर बात की. सत्र में नौशाद ने उनसे पूछा कि ‘आप किन सांचों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं?' इस पर राजन ने कहा, “सांचा एक मायने में विकास के वो तरीके हैं, जिनका इस्तेमाल आज तक अधिकांश देश कर रहे हैं.” लाम्बा और राजन, दोनों ने जोर दिया कि भारत के विकास के लिए नये तरीके भी हैं, जैसे मानव-पूँजी में निवेश करके, उच्च-दक्षता सर्विस में विस्तार करके, और तकनीक से जुड़े नये उत्पादों के माध्यम से.
‘द ग्रेट एक्सपेरिमेंट' सत्र में वक्ताओं ने भारत में लोकतांत्रिकता पर बात की. इसमें भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त और लेखक एस.वाई. क़ुरैशी ने कहा, “जब हमने लोकतंत्र को चुना था, तो यह वास्तव में एक प्रयोग ही था. सबको लगा था कि यह गलत कदम साबित होगा, क्योंकि हमारी 70% से अधिक आबादी निरक्षर थी. ये सच में एक एक्सपेरिमेंट ही था.” सत्र में जोर दिया गया एक वोट या एक पल देश में राजनैतिक पॉवर को सुनिश्चित नहीं कर सकता, लेकिन लोकतंत्र लोगों को अपना मन बदलने का अवसर देता है. आने वाले दिनों में, फेस्टिवल में और भी कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होगी, साथ ही म्यूजिक के भी कई शानदार सेशन देने को मिलेंगे.
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