Rajasthan: जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती मरीजों को सरकार की निर्धारित पूरी डाइट नहीं मिल रही है. कई वार्डों में मरीजों को नाश्ते में मिलने वाले कॉर्नफ्लेक्स, दलिया, उपमा, पोहा और फ्रूट गायब हैं. मरीजों के लिए तय दूध भी कम मात्रा में दिया जा रहा है या कई बार वार्ड बॉय ही पी जाते हैं. जबकि सरकार हर भर्ती मरीज पर रोजाना 78 रुपए की डाइट पर खर्च कर रही है.
मरीजों को सिर्फ 70-80 एमएल दूध दिया
अस्पताल में मरीजों की डाइट वितरण की प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं. सुबह के नाश्ते में मरीजों को 200 एमएल दूध और उपमा या कॉर्नफ्लेक्स दिए जाने का नियम है लेकिन कुछ मरीजों को सिर्फ 70-80 एमएल दूध दिया गया. नाश्ते में उपमा या अन्य सामग्री दी ही नहीं गई. खाने का ट्रॉली स्टाफ धीरे से नाश्ता नाश्ता कहकर चलता है, जिससे सिर्फ कुछ मरीज ही सुन पाते हैं और खाना ले पाते हैं.
"मरीजों को उनके हिस्से का फल नहीं मिलता"
दोपहर के खाने में रोटी, दाल, सब्जी, चावल और फ्रूट देने का नियम है. लेकिन कई मरीजों को इनके हिस्से का फल नहीं मिला. शाम को चाय या टमाटर सूप दिया जाना था, लेकिन कई वार्डों में बाहरी लोग चाय बेचते देखे गए और मेस की चाय पहुंचने से पहले ही मरीजों के परिजन को पैसे देकर चाय खरीदनी पड़ी.
हर मरीज पर रोज 78 रुपए खर्च करती है सरकार
SMS अस्पताल प्रशासन का दावा है कि हर भर्ती मरीज के लिए बीमारी के अनुसार, डाइट तैयार की जाती है. किचन का कार्य टेंडर प्रक्रिया से निजी कंपनी को दिया गया है, जो एक हजार मरीजों को दिनभर की डाइट उपलब्ध कराती है. हर मरीज पर प्रतिदिन 78 रुपए का खर्च सरकार वहन कर रही है. लेकिन वास्तविकता यह है कि न तो सभी मरीजों तक यह डाइट पहुंच रही है, और जो पहुंच रही है वह भी आधी-अधूरी है.
"हर वार्ड के नर्सिंग इंचार्ज की जिम्मेदारी"
SMS अस्पताल के इंचार्ज डॉ. सतीश वर्मा ने कहा कि हर वार्ड के नर्सिंग इंचार्ज की जिम्मेदारी होती है कि वो नजर रखें कि मरीजों को खाना मिला या नहीं. इसमें लापरवाही हो रही है तो जांच कराएंगे. सवाल उठते हैं कि जब बजट, मेन्यू और व्यवस्था मौजूद है, तो आखिर मरीजों के पेट तक खाना क्यों नहीं पहुंच रहा? क्या यह ठेकेदार और अस्पताल कर्मचारियों की मिलीभगत से हो रही बंदरबांट है.
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