Jaipur: जयपुर की उत्कर्ष कोचिंग में रविवार देर शाम 10 विद्यार्थी बेहोश हो गए. इस मामले के बाद युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा है. एक बार फिर कोचिंग संस्थान के नियमन से जुड़े बिल की चर्चा तेज हो गई है. खास बात यह है कि इस बिल को पेश किए जाने की बात पिछले 2 साल से की जा रही है. इसके 2 ड्राफ्ट भी तैयार हो गए हैं, लेकिन अभी तक इसे सदन में पेश नहीं किया गया है. उत्कर्ष कोचिंग (Utkarsh Coaching) मामले के बाद यह बहस फिर गर्म हो गई है. इस कोचिंग में पढ़ाई कर रहे 10 छात्र रविवार देर शाम अचानक बेहोश हो गए थे, जिसके बाद उन्हें तुरंत सोमानी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. इनमें 8 लड़कियां और 2 लड़के शामिल हैं. उनके बेहोश होने की वजह गटर से लीक हुई जहरीली गैस या कोचिंग संस्थान के ऊपर बने किचन के धुएं को बताया जा रहा है. 3 स्टूडेंट को प्राथमिक इलाज के बाद SMS से डिस्चार्ज किया गया है. जबकि 2 स्टूडेंट की हालत स्थिर बताई जा रही है.
गहलोत सरकार के कार्यकाल में शुरू हुई थी तैयारी
साल 2022 में अशोक गहलोत सरकार ने यह बिल लाने की तैयारी शुरू की थी. बिल का ड्राफ्ट तैयार होने के बाद अब उसके पेश होने का इंतजार है. पिछले साल भजनलाल सरकार के गठन के बाद फिर से कोचिंग संस्थानों पर लगाम कसने की बात कही गई.
करीब 3 महीने पहले सितंबर में कोचिंग संस्थान के प्रतिनिधि और कई सदस्यों के साथ उच्च शिक्षा विभाग की बैठक भी हुई. दरअसल, इस ड्राफ्ट में मनमानी फीस वसूली रोकने, सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने, डॉक्टर एवं काउंसलर की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है.
सुविधाएं नहीं होने के बावजूद कोचिंग संस्थान नहीं छोड़ पाते हैं छात्र
ड्राफ्ट के मुताबिक, अगर कोई विद्यार्थी कोर्स के बीच में कोचिंग छोड़ना चाहता है तो उसे सत्र के बचे हुए समय के हिसाब से फीस वापस कर दी जाएगी.विद्यार्थियों का कहना है कि अगर एडमिशन लेने के बाद उन्हें लगता है कि यहां सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त नहीं है. अगर सुविधाएं ठीक नहीं हैं तो भी वे वहीं पढ़ने को मजबूर होते हैं, क्योंकि संस्थान उन्हें फीस वापस नहीं करता. अगर यह बिल आ गया होता तो विद्यार्थियों को इन दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता.
पूर्व सीएम गहलोत ने की गाइडलाइंस लागू करने की मांग
यहां जानिए ड्राफ्ट के बारे में
'द राजस्थान कोचिंग सेंटर (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) बिल 2024' के मुताबिक राज्य सरकार की दो स्तरीय प्रशासनिक व्यवस्था कोचिंग संस्थानों का नियमन करेगी. कोचिंग संस्थान 16 साल से कम उम्र के बच्चों का नामांकन नहीं ले पाएंगे. वे कोई भ्रामक दावा या वादा नहीं करेंगे.
परीक्षा से जु़ड़ी हर जानकारी विद्यार्थियों और अभिभावकों को दी जाएगी. ताकि वे इसके आधार पर करियर का विकल्प चुन पाएं. कोचिंग संस्थान को वेबसाइट पर शिक्षको की योग्यता, कोर्स की जानकारी, आसानी से बाहर निकलने की एग्जिट पॉलिसी, फी रिफंड पॉलिसी, साल में कुल एनरोल बच्चों की संख्या और पास हुए बच्चों की संख्या बतानी होगी. साथ ही कोचिंग संस्थानों में काउंसलिंग सिस्टम और शिकायत के लिए कमेटी का होना जरूरी होगा.
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