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Rajasthan: जयपुर की उत्कर्ष कोचिंग को सील करने की मांग, धरने पर बैठे निर्मल चौधरी ने प्रशासन को दी चेतावनी

Jaipur Coaching Gas Leak: बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराए गए सभी 10 छात्रों की हालत अब ठीक है. वहीं, प्रशासन हादसे की जांच का सटीक कारण ढूंढने में जुटा हुआ है.

Rajasthan: जयपुर की उत्कर्ष कोचिंग को सील करने की मांग, धरने पर बैठे निर्मल चौधरी ने प्रशासन को दी चेतावनी
जयपुर गैस लीक.

Rajasthan News: राजस्थान की राजधानी जयपुर (Jaipur) के महेश नगर इलाके में स्थित उत्कर्ष कोचिंग (Utkarsh Coaching) में पढ़ाई कर रहे 10 छात्र रविवार देर शाम अचानक बेहोश हो गए, जिसके बाद उन्हें तुरंत सोमानी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. इनमें 8 लड़कियां और 2 लड़के शामिल हैं. उनके बेहोश होने की वजह गटर से लीक हुई जहरीली गैस या कोचिंग संस्थान के ऊपर बने किचन के धुएं को बताया जा रहा है. कारण अभी साफ नहीं है, लेकिन जयपुर में इस घटना के बाद से बवाल मचा हुआ है. राजस्थान यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी (Nirmal Choudhary) ने पूरी रात अपने समर्थकों संग कोचिंग संस्थान के बाहर धरना दिया है, जो इस वक्त भी जारी है.

निर्मल चौधरी की प्रशासन को चेतावनी

जयपुर पुलिस और निर्मल चौधरी के समर्थकों में रविवार रात झड़प भी हुई थी, जिसके बाद यह धरना शुरू हुआ. इस दौरान निर्मल चौधरी ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा, "पिछले कई घंटों से छात्र शांति से प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन अभी तक किसी प्रशासनिक अधिकारी या सरकार द्वारा कोई न्यायप्रिय कार्रवाई नहीं करना अहंकारी शासन को दर्शाता है. एक बात याद रखना. हम यहां शांतिपूर्वक इसीलिए बैठे हैं ताकि आप होश में आ जाओ. लेकिन हमें ऐसी स्थिति लग नहीं रही है. सड़क पर आएंगे तब आप समझोगे."

प्रदर्शनकारी छात्र कोचिंग संस्थान को सील करने और घटना की उचित जांच करने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने पुलिस अधिकारियों से कहा कि वो तब तक परिसर नहीं छोड़ेंगे जब तक संस्थान को सील नहीं कर दिया जाता.

सांसद मंजू शर्मा ने दिया जांच का आश्वासन

जयपुर की सांसद मंजू शर्मा ने कोचिंग संस्थान में हुई घटना का जायजा लिया और फिर अस्पताल जाकर छात्र-छात्राओं से मुलाकात की. इस मीटिंग के बाद सांसद ने कहा, "अब सभी बच्चे ठीक हैं. मैंने डॉक्टर से बात की है. बच्चों की हालत में सुधार हुआ है. कोई कॉम्प्लिकेशन नहीं है. इस घटना की जांच कराई जाएगी. हम इस बारे में बात करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसी घटना दोबारा न हो. हम इसकी व्यवस्था देखेंगे. मामले की जांच के लिए पहले ही एक समिति का गठन कर दिया है और जो भी जिम्मेदार होगा, उसे निश्चित रूप से कड़ी सजा दी जाएगी."

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जयपुर नगर निगम ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. जबकि नागरिक समाज उन इमारतों की सुरक्षा पर सवाल उठा रहा है, जहां कोचिंग कक्षाएं संचालित की जाती हैं, और एक समय में कक्षा में कितने छात्र हो सकते हैं?

सचिन पायलट ने पूछा- जिम्मेदार कौन है?

सचिन पायलट ने एक्स पर लिखा, "यह बेहद चिंताजनक घटना है और इसकी जांच होनी चाहिए. दूरदराज इलाकों से स्टूडेंट्स पढ़ने शहर आते हैं और सुरक्षा नियमों की पालना नहीं होने के कारण यदि कोई अनहोनी हो जाए तो उसका जिम्मेदार कौन है? राज्य सरकार से मेरी मांग है कि इस हादसे की गहनता से जांच हो एवं लापरवाही बरतने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई हो. इसके साथ ही सरकार समस्त कोचिंग संस्थानों के लिए सुरक्षा नियम जारी कर उनकी सख्ती से पालना करवाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो. मेरी प्रार्थना है कि ईश्वर सभी स्टूडेंट्स को सकुशल रखें."

'10 दिन से गंध आ रही थी, किसी ने शिकायत नहीं सुनी'

NDTV राजस्थान से खास बातचीत में कोचिंग संस्थान में पढ़ने वाले एक छात्र ने कहा, "पिछले 15-20 दिन से अजीब सी गंध आ रही थी. हमने कई बार कोचिंग प्रबंधन से इसकी शिकायत की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. कल 201 नंबर हॉल में रीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स की क्लास चल रही थी, जिसमें यह घटना हुई. वहां एक ही एंट्री और एग्जिट गेट है. हॉल में 750 से 800 विद्यार्थी एक साथ बैठते हैं. रविवार होने के कारण कल सिर्फ 350-380 के आसपास स्टूडेंट आए थे."

"क्लासरूम में आगे की तरफ लड़कियां बैठी थीं. उन्हें सबसे पहले गंध आई. उन्होंने क्लासरूम में मौजूद शिक्षक से इसकी शिकायत की, लेकिन उन्होंने कहा कि थोड़ी देर में सब सही हो जाएगा. फिर विद्यार्थियों को खांसी आने लगी. तब स्टूडेंट अचानक क्लासरूम से भागने लगे. भगदड़ जैसी स्थिति बन गई. पीछे वाले विद्यार्थी पहले भागे."

आधा घंटे तक झूठ बोलकर अस्पताल ने जाने में की देरी

NDTV राजस्थान के कैमरे पर स्टूडेंट्स का आरोप है कि बेहोश हुए छात्रों को करीब आधे घंटे कोचिंग के दफ्तर में रखा गया. इसके बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल में भेजा गया. उन्हें बताया गया कि संस्थान के डॉक्टर बच्चों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन उन्हें किसी डॉक्टर के बारे में जानकारी नहीं थी. उन्होंने पहले किसी डॉक्टर को संस्थान में नहीं देखा था. लगभग सभी विद्यार्थियों ने एक सुर में कहा कि कोचिंग संस्थानों में क्षमता से अधिक स्टूडेंट्स को बिठाया जाता है. संस्थान मोटी फीस वसूलते हैं. रिजल्ट की चाह में मजबूर बच्चों के पास यह विकल्प नहीं होता कि वे कुव्यवस्था के कारण संस्थान छोड़ दें.

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