जैसलमेर में गरमाया 1835 में बनी छतरियों का विवाद, जमकर हुई पत्थबाजी, 20 महिलाएं डिटेन

संघर्ष समिति के सदस्य ने आरोप लगाए है कि 2021 में विवाद के चलते प्रशासन पर तत्कालीन सरकार ने दबाव बनाकर काम रुकवाया था...

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
जैसलमेर छतरी विवाद

Rajasthan News: जैसलमेर जिले के बासनपीर गांव में रियासतकालीन वीर झुंझार रामचंद्र जी सोढ़ा और हदूद जी पालीवाल की स्मृति में बनी छतरियों के निर्माण के दौरान हुए विवाद को लेकर प्रशासन व पुलीस द्वारा दो पक्षों से बातचीत के बाद बुधवार को सुलझाया गया था. इसके बावजूद समाज विशेष के लोगों द्वारा आज गुरुवार को छतरी निर्माण के दौरान सैकड़ों महिलाओं व युवाओं के द्वारा पत्थरबाजी कर जानलेवा हमला किया गया, जिसमें करीब 4 लोग घायल हुए है. इस घटना में एक पुलिसकर्मी नरपत सिंह को भी चोटे लगी है. जिसके बाद घायलों का उपचार चल रहा है. कई गाड़ियों की भी तोड़-फोड़ की गई है. हालांकि अब पुलिस ने पूरे मामले में संज्ञान लेते हुए 20 से अधिक महिलाओं सहित 2 दर्जन से अधिक लोगों को डिटेन किया है.

20 महिलाओं को किया गया डिटेन

एसपी सुधीर चौधरी ने बताया कि इस विवाद को लेकर बुधवार को एसडीएम कार्यालय में दोनों पक्षों से समझाइस के बाद काम शुरू हुआ था. लेकिन इस विवाद को देखते हुए 20 से अधिक महिलाओं को डिटेन किया है. वहीं एडिशनल एसपी सिटी मौके पर मौजूद है. अभी स्थितियां सामान्य बनी हुई है. किन लोगों ने उपद्रव भड़काया उन लोगों की भी जानकारी जुटा जा रही है. साथ ही डिटेल लोगों से पूछताछ के आधार पर कुछ लोगों को पकड़ रहे है. लायन ऑर्डर हाथ में लेने नहीं दिया जाएगा.

Advertisement

2019 में टूटी थी छतरी

यह विवाद साल 2019 में लगातार चल रहा है. उस वक्त छतरी को तोड़ने का काम एक अध्यापक द्वारा कुछ लोगों को उकसाकर करवाया गया था. जिसके बाद इस मामले में झुंझार धरोहर बचाओ संघर्ष समिति द्वारा इस कृत्य के खिलाफ विरोध किया गया था. उस समय पुलिस द्वारा मामला दर्ज कर मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कोर्ट में चालान भी पेश किया गया था.

Advertisement

तत्कालीन सरकार के दबाव से रुका था काम

इस बीच झुंझार धरोहर बचाओ संघर्ष समिति, हिंदु संगठनों सहित आमजन ने जिलेभर में आंदोलन किया गया था, जिसके बाद साल 2021 मे कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर दो पक्षों से बातचीत के बाद प्रशासन की मौजूदगी में काम शुरू हुआ था, लेकिन फिर दो दिन बाद ही तनाव के माहौल के चलते प्रशासन के आग्रह पर काम रोका गया था. संघर्ष समिति के सदस्य गणपत सिंह ने आरोप लगाए है कि 2021 में विवाद के चलते प्रशासन पर तत्कालीन सरकार ने दबाव बनाकर काम रुकवाया था, जो कि नीति संगत नहीं था.

Advertisement

1835 में किया गया था छतरी का निर्माण

गणपत सिंह सोढा ने बताया बासनपीर गांव में रियासतकालीन वीर झुंझार रामचंद्र जी सोढ़ा और हदूद जी पालीवाल की स्मृति में बनी छतरियां हमारे इतिहास, बलिदान और गौरव की प्रतीक थीं. उन्हें 2019 में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा ढहा दिया गया था. अब जब इन छतरियों के पुनर्निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ, तो वहीं कट्टर मानसिकता दोबारा जागी और विशेष समुदाय के लोगों ने न केवल निर्माण रोकने का दुस्साहस किया, बल्कि आम नागरिकों सहित पुलिस पर हमला कर कई लोगों को लहूलुहान कर दिया.

इन छतरियां का निर्माण ईस्वी सन 1835 में तत्कालीन महारावल गज सिंह द्वारा करवाया गया था. ईस्वी सन 1828 वीर झांझर रामचंद्र सोडा ने जैसलमेर और बीकानेर के बीच लड़ेगा युद्ध में जैसलमेर की तरफ से भागीदारी निभाते हुए वीर गति को प्राप्त हुए थे, उनकी याद में यह छतरी बनवाई गई थी. वही हदूद जी पालीवाल ने गांव में तालाब खुदवाया, इसलिए उनकी भी छतरी बनवाई थी.

ये भी पढ़ें- राजस्थान का एक गांव जहां जाने के लिए बस कंडक्टर काटता है न्यू अमेरिका का टिकट, जानें क्या है इसका असल इतिहास