Jaisalmer: किसानों को हर 17 दिन बाद मिल रहा नहर का पानी, रबी की फसल में बंपर पैदावार की उम्मीद

पिछले साल दिसंबर के पूर्व के प्लान को बदलाव करने के बजाय यथावत रखते हुए किसानों को हर 17 दिन बाद 8.5 दिन तक इंदिरा गांधी नहर का पानी दिया गया है. किसानों को हर 25 दिन में पानी मिलने के बजाय 17 दिन में ही पानी उपलब्ध करवाया गया. जिससे इस साल 100 प्रतिशत पैदावार होने की उम्मीद है.

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इंदिरा गाँधी नहर किसानों के लिए जीवनदायनी साबित हुई है

Indira Gandhi Canal Jaisalmer: रेगिस्तान के बीच बसा एक ऐसा जिला जंहा इंदिरा गांधी नहर के बिना 12 माह खेती करना एक सपने जैसा था. यही वजह है कि इसे जैसलमेर की जीवनदायिनी भी कहा जाता है. इंदिरा गांधी नहर में लगातार दूसरे साल रबी की फसलों के लिए पर्याप्त पानी मिला है. इसके चलते इस बार नहरी क्षेत्र में बंपर पैदावार की संभावना है. पिछले साल दिसंबर के पहले सप्ताह में किसानों के प्रदर्शन के बाद 14 दिसंबर 2023 को नहरों का रेगुलेशन प्लान परिवर्तित होने वाला था,जो नही बदला गया. पूर्व के प्लान के अनुसार चार में से दो ग्रुप चलाने का निर्णय लिया गया था.

हर 17 दिन में मिल रहा किसानों को पानी 

पिछले साल दिसंबर के पूर्व के प्लान को बदलाव करने के बजाय यथावत रखते हुए किसानों को हर 17 दिन बाद 8.5 दिन तक पानी दिया गया है. किसानों को हर 25 दिन में पानी मिलने के बजाय 17 दिन में ही पानी उपलब्ध करवाया गया. जिससे इस साल 100 प्रतिशत पैदावार होने की उम्मीद है.

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16 मार्च तक पर्याप्त मिलेगा पानी 

दरअसल, जैसलमेर में पिछले कई सालों से यह परम्परा चल रही थी कि किसान मजबूर होकर हड़ताल नहीं करेंगे तब तक उन्हें पर्याप्त नहरी पानी उपलब्ध नहीं करवाया जाएगा. लेकिन पिछले दो सालों में यह बदलाव देखा गया है कि नहरी पानी के लिए किसानों को हड़ताल करने की जरूरत ही नहीं पड़ रही है. इस साल भी 14 दिसंबर से रेगुलेशन प्लान में तब्दीली होनी तय थी, लेकिन इसी बीच नहरी अधिकारियों द्वारा पुरानी व्यवस्था को ही यथावत रखते हुए किसानों को राहत दी गई. अब 16 मार्च तक पर्याप्त पानी मिलना किसानों के लिए बड़ी राहत है.

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रबी की फसल की बम्पर पैदावार की संभावना 

रबी की इस सीजन में पर्याप्त पानी मिलने से किसानों के चेहरों पर रौनक लौट आई है. नहरी किसानों को इस बार रबी की फसलों में शत प्रतिशत पैदावार होने की उम्मीद है. नहरी क्षेत्र में गेहूं की 3142, चना की 60 हजार 375, सरसो की 19 हजार 350, जौ की 350, जीरे की 32 हजार 600, ईसबगोल की 23 हजार 100 व तारामीरा की 78 हैक्टेयर में बुवाई हो गई है. 

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