धमाके की आवाज से थर्रा गया केरला गांव, दो महीने पहले मिली जिंदा माइंस को सेना ने किया डिफ्यूज

जैसलमेर के केरला गांव में दो महीने पहले मिले जिंदा एंटी पर्सनल माइंस को सेना ने डिफ्यूज कर दिया है. इस दौरान धमाके से पूरा गांव थर्रा गया.

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जैसलमेर के गांव में जिंदा बम को सेना ने डिफ्यूज किया

Rajasthan News: जैसलमेर जिला स्थित म्याजलार क्षेत्र के केरला गांव के वासी अब चैन की सांस ले पाएंगे. अगस्त महीने मे केरला गांव में मिला जिंदा एंटी पर्सनल माइंस आखिरकार दो महीने बाद अब सेना ने डिफ्यूज कर दिया है. दो महीने से पुलिस के पहरे में इस जिंदा एंटी पर्सनल माइन को रखा गया था. जिंदा एंटी पर्सनल माइंस को बाड़मेर से आई सेना के बम निरोधक दस्ते की टीम ने डिफ्यूज किया. सेना की टीम द्वारा माइंस को सुरक्षित स्थान पर ले जाकर तेज धमाके के साथ डिफ्यूज किया गया. इस प्रोसेस के दौरान एंटी पर्सनल माइंस के धमाके से पूरा गांव गूंज उठा.

बम जानकर चरवाहे ने किया पुलिस को सूचित  

भारत-पाक सरहद के सरहदी इलाके के केरला गांव के पास दो महीने पहले एक चरवाहे को बम जैसी एक वस्तु नजर आई थी. चरवाहे ने गांव वालों को मौके पर बुलाया और ग्रामीणों ने BSF को इसकी जानकारी दी. मौके पर पहुंची BSF की टीम ने इसकी पड़ताल की और बताया कि ये एक जिंदा एंटी पर्सनल लैंड माइन है. इसकी सुरक्षा में पुलिस वालों को लगा दिया गया था. बताया जा रहा है कि भारतीय सेना की ओर से किसी युद्धाभ्यास में ये जमीन में दबी रह गई होगी और अगस्त में तेज आंधियों के चलने से रेत उड़ी तो माइंस जमीन से बाहर आ गई.

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क्या है एंटी पर्सनल लैंड माइन 

एंटी-पर्सनल लैंड माइन का इस्तेमाल इंसानों के खिलाफ किया जाता है, जबकि एंटी-टैंक लैंड माइंस का इस्तेमाल भारी गाड़ियों के लिए किया जाता है. ये माइन घुसपैठियों और दुश्मन की पैदल सेना के खिलाफ रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में काम करते हैं. वे आकार में छोटे होते हैं और बड़ी संख्या में तैनात किये जा सकते हैं. वे सीमाओं पर दुश्मन सैनिकों को मार गिराने के लिए जमीन में दबाए जाते हैं और जैसे ही दुश्मन देश का सैनिक इस पर पांव रखेगा तो ये धमाके के साथ फटता है और दुश्मन सैनिक के परखचे उड़ा देता है.

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