जल झूलनी ग्यारस पर भगवान करेंगे शहर भ्रमण, राज तालाब में स्नान, दर्शन करने उमड़ेगी हजारों की भीड़

शहर के प्रमुख मंदिरों राधावल्लभ मंदिर, नृसिंह मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर, रूपचतुर्भुज, रघुनाथ जी मंदिर के अलावा अन्य कई मंदिरों से श्रद्धालु जल झूलनी ग्यारस पर भगवान शहर के भ्रमण पर निकलते हैं.

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Rajasthan News: राजस्थान सरकार ने जल के महत्व को देखते हुए जल झूलनी ग्यारस (Jal Jhulni Ekadashi 2024) के दिन सभी जलाशय में पूजा अर्चना करने की घोषणा की है. लेकिन बांसवाड़ा (Banswara) शहर में यह परंपरा सदियों पूर्व से चली आ रही है. इस दिन बांसवाड़ा शहर के सभी प्रमुख मंदिरों से भगवान की प्रतिमाओं की सवारी निकलती है और प्रमुख मार्गों से होते हुए पवित्र जलाशय राज तालाब (Raj Talab) पर पहुंचते हैं, जहां पर भगवान को नहलाया जाता है और जलाशय की पूजा अर्चना की जाती है.

मक्का की फसल का भोग

शहर के प्रमुख मंदिरों राधावल्लभ मंदिर, नृसिंह मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर, रूपचतुर्भुज, रघुनाथ जी मंदिर के अलावा अन्य कई मंदिरों से श्रद्धालु जल झूलनी ग्यारस पर भगवान शहर के भ्रमण पर निकलते हैं. इस दौरान हजारों की संख्या में मौजूद भक्त भगवान को यथाशक्ति उपहार व फल आदि चढ़ाते हैं. वहीं जनजाति वर्ग अपनी फसल का चढ़ावा भगवान को चढ़ाते हैं और उसके बाद उसका उपयोग करते हैं. बांसवाड़ा जिले में मक्का का उत्पादन अधिक होता है, इसके चलते भगवान को मक्का की फसल चढ़ाई जाती है और उसके बाद ही इसका उपयोग किया जाता है. यह परंपरा बांसवाड़ा शहर की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है.

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करबत भी खूब कमाल के

इस दौरान शहर भर के अखाड़ों के युवा ने अद्भुत करबत का मुजायरा प्रस्तुत करते हैं. युवा ने रस्सी पर चढऩे, मुगदर उठाने, मुंह से आग फेंकने, हाथों से नारियल तोड़ने सरीखे करतब दिखाते हैं. जिसमें वनेश्वर महादेव बजरंग व्यामशाला, (पवनपुत्र खोडीयार माता व्यायामशाला किशनपोल दरवाजा) खोडियार माता मंदिर से, (पंचमुखी व्यायाम शाला पंच वसीटा धोबी समाज) मां आशापुरा मंदिर पैलेस रोड से, पवन पुत्र व्यामशाला, पवन पुत्र व्यामशाला, (पांड़व व्यायाम शाला) काली कल्याण धाम से, (मारुति व्यायाम शाला) नई आबादी के अलावा भी व्यामशालाओं के युवा करतब दिखाते हैं.

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