Rajasthan: दर्जनों मकानों पर नगर पालिका का चला बुलडोजर, कई PM आवास के तहत बने तो कई पर लगा अनुदान का बोर्ड

कॉलोनी में अधिकांश परिवार दशकों पहले झोपड़ियों से शुरुआत करके मेहनत-मजदूरी से पक्के मकान बना चुके थे. कई मकानों का निर्माण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकारी अनुदान से हुआ था.

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Rajasthan News: जालोर में भीनमाल शहर की आशापुरा कॉलोनी में मंगलवार सुबह नगर पालिका प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करते हुए कई दर्जन मकानों को ढहा दिया. इस कार्रवाई में वर्षों से बसे गरीब परिवारों के घर उजड़ गए. महिलाएं और बच्चे सड़क पर आंसू बहाते रहे. इस दौरान मौके पर प्रशासनिक अमला पुलिस बल के साथ मौजूद रहा. बड़ी बात है कि कई मकानों का निर्माण पीएम आवास योजना के तहत हुआ था. 

80 परिवारों को जारी हुआ था पट्टा

जानकारी के मुताबिक, 1975 में जब यह क्षेत्र नगर पालिका में शामिल नहीं था, तब ग्राम पंचायत भागलभीम के अधिकार क्षेत्र में था. उस समय के पुराने खसरा नंबर 2084 (नवीन खसरा नंबर 3805) में करीब 80 परिवारों को ग्राम पंचायत ने पट्टे जारी किए थे. वर्षों तक इन मकानों को बिजली-पानी के कनेक्शन, मकान निर्माण की अनुमति और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता रहा. 

स्थानीय लोगों का आरोप है कि जोधपुर हाईकोर्ट ने इस भूमि को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. इसके बावजूद भीनमाल के एसडीएम मोहित कासनियां और नगर पालिका प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए गरीबों के आशियाने उजाड़ दिए.

महिला से हाथापाई का आरोप

पीड़ित परिवारों का कहना है कि यह न केवल हठधर्मिता है, बल्कि अदालती आदेश की अवहेलना भी है. लोगों ने आरोप लगाया कि कार्रवाई के दौरान कई लोगों से दुर्व्यवहार हुआ. एक गर्भवती महिला के साथ हाथापाई की गई. वहीं उसकी ननद के बाल पकड़कर उसे बाहर धकेला गया. कई घुमंतू परिवार भी बेघर हो गए. कुछ पीड़ितों ने बताया कि एसडीएम ने खुद लोगों को हाथ पकड़कर मकानों से बाहर खींचा. 

मीडिया ने जब नगर पालिका प्रशासक और एसडीएम से इस कार्रवाई पर सवाल पूछे तो उन्होंने स्पष्ट जवाब देने से परहेज किया. बताया जाता है कि कार्रवाई का नेतृत्व कर रहे एसडीएम एक प्रशिक्षणरत IAS अधिकारी हैं और कार्रवाई के दौरान उनका रुख बेहद कठोर था. 

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सरकारी अनुदान से बने कई मकान

कॉलोनी में अधिकांश परिवार दशकों पहले झोपड़ियों से शुरुआत करके मेहनत-मजदूरी से पक्के मकान बना चुके थे. कई मकानों का निर्माण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकारी अनुदान से हुआ था. कुछ घरों पर आज भी नगर पालिका के बोर्ड लगे हैं, जिन पर स्पष्ट लिखा है, "गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार को अनुदान से निर्मित मकान".

प्रभावित परिवारों का कहना है कि गलती उनकी नहीं, बल्कि प्रशासन की है जिसने वर्षों तक आंखें मूंदे रखीं. अब अचानक कार्रवाई कर उन्हें बेघर कर दिया गया. सैकड़ों लोग खुले आसमान के नीचे हैं, बच्चों की पढ़ाई ठप हो गई है और परिवार का भविष्य अनिश्चित है.

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