Vaibhav Gehlot: कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए राजस्थान में 10 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिये हैं. कांग्रेस की 10 उम्मीदवारों की लिस्ट में अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत का नाम भी शामिल हैं. पिछली बार लोकसभा चुनाव 2019 में वैभव गहलोत को जोधपुर सीट से मैदान में उतारा गया था. लेकिन इस बाद जालोर-सिरोही लोकसभा सीट (Jalore-Sirohi Lok Labha Seat) के लिए वैभव गहलोत पर दांव लगाया गया है. आपको बता दें जालोर-सिरोही सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. लेकिन साल 1999 के बाद इस सीट पर कांग्रेस को लगातार चार बार हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या वैभव गहलोत पर कांग्रेस का दांव सटीक होगा या नहीं. क्योंकि पिछली बार जोधपुर सीट पर वैभव गहलोत को हार का सामना करना पड़ा था.
जालोर-सिरोही लोकसभा सीट पर बीजेपी ने लुंबाराम चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है. लुंबाराम चौधरी सिरोही के निवासी है. ऐसे में वह इस सीट पर स्थानीय निवासी है. ऐसे में वैभव गहलोत के लिए इस सीट पर चुनौती (Vaibhav Gehlot vs Lumbaram Choudhary) कम नहीं है. वहीं बीजेपी पिछले चार चुनाव से लगातार जीत दर्ज करते आ रही है. हालांकि, 1999 तक इस सीट पर कांग्रेस के बूटासिंह का दबदबा था जिन्होंने यहां से 4 बार जीत दर्ज की है.
जालोर-सिरोही लोकसभा सीट पिछले 10 चुनाव का हाल
1984: सरदार बूटासिंह, कांग्रेस
1989: कैलाश मेघवाल, भारतीय जनता पार्टी
1991: सरदार बूटासिंह, कांग्रेस
1996: पारसाराम मेघवाल, कांग्रेस
1998: सरदार बूटासिंह, कांग्रेस
1999: सरदार बूटासिंह, कांग्रेस
2004: बी. शुशीला, भाजपा
2009: देवजी एम. पटेल, भाजपा
2014: देवजी एम. पटेल, भाजपा
2019: देवजी एम पटेल, भाजपा
जालोर-सिरोही सीट पर पिछले 10 लोकसभा चुनाव का परिणाम देखें तो यहां से 5 बार कांग्रेस और 5 बार बीजेपी ने जीत हासिल की है. कांग्रेस से 4 बार बूटासिंह और एक बार पारसाराम मेघवाल ने जीत हासिल की है. जबकि बीजेपी से तीन बार देवजी एम पटेल और एक बार बी शुशीला और एक बार कैलाश मेघवाल ने जीत हासिल की है. आपको बता दें इस सीट पर बाहरी उम्मीदवार के जीत का रिकॉर्ड रहा है.
जालोर-सिरोही सीट पर होगा स्थानीय और बाहरी का मुद्दा
बीजेपी ने जालोर-सिरोही सीट पर स्थानीय निवासी लुंबाराम चौधरी को टिकट दिया है. ऐसे में स्थानीय और बाहरी का मुद्दा उछाला जाएगा. हालांकि, इस सीट पर रिकॉर्ड रहा है कि हमेशा बाहरी उम्मीदवार ने चुनाव जीता है. ऐसे में वैभव गहलोत के लिए प्लस प्वाइंट होगा. लेकिन 2004 से बीजेपी यहां जीत दर्ज करते आ रही है तो अब इस सीट को बीजेपी के गढ़ के रूप में देखा जा रहा है. यहां 2009 से 2019 तक देवजी एम पटेल ने लगातार जीत हासिल की है. वहीं, 1999 तक बूटासिंह यहां से चुनाव जीतते आ रहे थे. लेकिन 2004 में बी शुशीला ने बूटासिंह को शिकस्त देकर इस सीट को बीजेपी के पाले में डाल दिया था. तब से यह सीट बीजेपी के पास ही है.
जोधपुर में मुश्किलें दिखी तो जालोर आए वैभव
वैभव गहलोत का वर्ष 2019 में भी जालोर से नाम चला था. उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, वैभव को जालोर के बजाय जोधपुर से उम्मीदवार बनाया गया. लेकिन वहां वैभव हार गए. उसके बाद इस बार पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोधपुर सीट पर मुश्किलें देखी, इसे देखते हुए वैभव गहलोत को जालोर सीट से उतारने का निर्णय किया. हालांकि यहां से जितने भी सर्वे व फीडबैक गए उसमें वैभव की स्थिति कमजोर बताई गई. लेकिन जोधपुर सीट की बजाय कांग्रेस ने जालोर सीट वैभव गहलोत के लिए मजबूत मानी. कांग्रेस ने दूसरी सूची में जालोर सीट से वैभव गहलोत को उम्मीदवार बनाये जाने की घोषणा की है.
सभी जातियों से समझाइश के प्रयास
वैभव गहलोत को जालोर सीट पर उतारने को लेकर अशोक गहलोत ने सभी जातियों से पहले ही समझाइश के प्रयास किये. उन्होंने अपने सिपहसालार धर्मेंद्र राठौड़ को भेजकर संसदीय क्षेत्र के राजपूत समाज के बड़े घरानों से बातचीत की. साथ ही अलग अलग समाजों के प्रतिनिधि मंडलों से स्वयं अशोक गहलोत ने जयपुर में मुलाकात कर सहयोग का निवेदन किया. अब घोषणा के बाद वैभव जालोर सीट पर समीकरण अपने पक्ष में कैसे कर पाते हैं, यह आने वाले समय में ही पता चल पाएगा.
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