Rajasthan: '23.5 लाख रुपये सहायता, संविदा पर नौकरी, हर महीने पेंशन...', विक्रम मीणा केस में 3 दिन बाद बनी सहमति, तनाव खत्म

Vikram Meena Suicide Case Update: जमवारामगढ़ में विक्रम मीणा सुसाइड मामले में 3 दिन बाद धरना खत्म हो गया है. पीड़ित परिवार को ₹23.5 लाख और संविदा पर नौकरी मिलेगी. पुलिस-वनकर्मियों पर 15 दिन में जांच होगी.

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विक्रम मीणा के शव के साथ 3 दिन से जारी धरना खत्म, प्रशासन-आंदोलनकारियों में बनी सहमति; परिवार को ₹23.5 लाख का सहयोग
NDTV Reporter

Rajasthan News: राजधानी जयपुर के जमवारामगढ़ में वनकर्मियों की कथित पिटाई से आहत होकर आत्महत्या करने वाले विक्रम मीणा के मामले में 3 दिन से जारी गतिरोध आखिरकार खत्म हो गया है. विक्रम मीणा प्रकरण को लेकर आंदोलनरत परिजनों और समाज के नेताओं की पुलिस प्रशासन के साथ लंबी चर्चा हुई, जिसके बाद सहमति बन गई है. आंदोलन के प्रमुख चेहरा नरेश मीणा और पूर्व विधायक गोपाल मीणा सहित अन्य नेताओं की मौजूदगी में प्रशासन ने शनिवार दोपहर परिजनों की अधिकांश मांगों को मान लिया है. इस समझौते के बाद, परिजनों ने तीन दिन से एंबुलेंस में रखे शव को उठाने और अंतिम संस्कार करने पर सहमति जताई.

किन शर्तों पर बनी सहमति?

1. परिवार को ₹23.5 लाख का सहयोग

  • विक्रम मीणा के परिवार को प्रशासन की ओर से ₹21 लाख की आर्थिक सहायता दी जाएगी.
  • परिवार के एक सदस्य को संविदा पर नौकरी उपलब्ध कराई जाएगी.
  • नरेश मीणा ने अपनी तरफ से ₹1 लाख देने का ऐलान किया.
  • NSUI अध्यक्ष राकेश मीणा की ओर से ₹1 लाख की सहायता दी जाएगी.
  • पूर्व विधायक गोपाल मीणा की टीम की ओर से ₹1.50 लाख का सहयोग दिया जाएगा.

यानी परिवार को प्रशासन और नेताओं की ओर से मिलाकर ₹23.5 लाख की सहायता राशि मिलेगी.

2. बच्चों की शिक्षा और पेंशन

  • परिवार को हर महीने ₹1200 की मासिक पेंशन दी जाएगी.
  • विक्रम मीणा के प्रत्येक बच्चे की पढ़ाई और भरण-पोषण के लिए 18 वर्ष की आयु तक हर महीने ₹1500 की सहायता दी जाएगी.

3. 15 दिन में जांच होगी पूरी

  • प्रदर्शन के दौरान डिप्टी प्रदीप द्वारा ग्रामीणों पर की गई लाठीचार्ज या अन्य कार्रवाई की जांच 15 दिनों के भीतर पूरी की जाएगी.
  • युवक को कथित रूप से पीटने वाले वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ भी 15 दिनों में जांच कर आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.
  • इस पूरे प्रकरण में आंदोलन में शामिल रहे किसी भी ग्रामीण पर किसी भी प्रकार की कानूनी कार्यवाही नहीं की जाएगी.

जानें क्या था पूरा मामला?

यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब युवक विक्रम मीणा की बकरियां वन क्षेत्र में चली गईं. मृतक के छोटे भाई विनोद मीणा का आरोप था कि वनकर्मियों ने विक्रम के साथ मारपीट की और ₹1100 का चालान वसूला. इस दौरान विक्रम की पत्नी से भी बदतमीजी की गई. इस घटना से आहत विक्रम जब शिकायत लेकर रायसर थाने पहुंचा, तो आरोप है कि पुलिस ने उसकी अनसुनी कर दी. थाने से निकलने के बाद विक्रम ने पुलिस कंट्रोल रूम को कॉल कर आत्महत्या करने की बात कही और कुछ ही देर बाद उसका शव पेड़ से लटका मिला. इस घटना के बाद जमवारामगढ़ में तनाव फैल गया था। परिजनों ने तीन दिन तक शव को नहीं उठाया और न्याय की मांग करते हुए धरना-प्रदर्शन किया.

सहमति के बाद राहत, तनाव खत्म

नरेश मीणा ने इस सहमति के बाद आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि परिवार की मांगे वाजिब थीं और प्रशासन ने उन मांगों को पूरा करने का भरोसा दिया है. तीन दिन तक पुलिस छावनी बने रहे रायसर थाना क्षेत्र में अब शांति बहाल हो गई है. इस समझौते के बाद अब परिजनों ने विक्रम मीणा का अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

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