Janmashtami 2025: राजस्थान के इस जिले में श्रीसत्यनारायण का अनूठा मंदिर, यहां बाल हनुमान के साथ विराजते हैं श्रीहरि

Rajasthan News: गर्भगृह में भगवान सत्यनारायण-माता लक्ष्मी की मूर्ति के बगल में हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है.

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Nagaur Satyanarayan Temple: जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को है. नंदलाल के हर मंदिर में अलग ही रौनक बिखरी हुई है. देशभर में श्रीहरिनारायण के कई मंदिर हैं, जो भक्ति और चमत्कार को समेटे हुए हैं. ऐसा ही एक मंदिर नागौर की लाडनूं तहसील में भगवान श्रीसत्यनारायण का है. इस मंदिर में भगवान 'बाल हनुमान' के साथ विराजते हैं. कोयल गांव का यह मंदिर अपनी सादगी और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है. यहां स्थित श्री सत्यनारायण और बाल हनुमान मंदिर भक्तों को शांति, समृद्धि और जीवन की बाधाओं से मुक्ति का आशीर्वाद देता है. गर्भगृह में भगवान सत्यनारायण-माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित है और बगल में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है. सत्यनारायण मंदिर में एक छोटा सा प्रांगण भी है, जिसका उपयोग प्रार्थना, कथा और सामाजिक बैठकों के लिए किया जाता है. त्योहारों के दौरान, मंदिर को सजाने के लिए रंगोली, रोशनी और फूलों का इस्तेमाल किया जाता है.

200 साल पुराने मंदिर के लिए है खास मान्यता

200 साल से भी पुराने इस ऐतिहासिक मंदिर के लिए मान्यता है कि इस क्षेत्र में पहले घना जंगल था, जहां साधु-संत तपस्या करते थे. एक साधु की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान सत्यनारायण ने उन्हें दर्शन दिया. साथ ही, एक माहेश्वरी परिवार को स्वप्न में भगवान ने मंदिर स्थापना का आदेश दिया. इसके बाद, इस पहाड़ी पर सत्यनारायण मंदिर का निर्माण हुआ और परिसर में ही बाल हनुमान की मूर्ति स्थापित की गई.

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एकादशी, मंगलवार समेत कई दिन होती है विशेष पूजा

भक्तों का मानना है कि यहां पूजा करने से मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि और गृह क्लेश से मुक्ति मिलती है. विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ और चोला चढ़ाने की परंपरा भक्तों में लोकप्रिय है. इसके साथ ही पूर्णिमा, एकादशी, गुरुवार के दिन भी भगवान की यहां विशेष पूजा होती है.

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इस मंदिर तक पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन लाडनूं (13-18 किमी) और निकटतम हवाई अड्डा जयपुर (184 किमी) है. बस या निजी वाहन से निम्बी जोधा (3 किमी) से कोयल गांव तक पहुंचना सुविधाजनक है. मंदिर में पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा और हवन का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं.

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