Jat Aandolan: केंद्र सरकार की सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर राजस्थान में शुरू हुआ जाट आंदोलन (jat reservation movement) का मुद्दा अब गरमाने लगा है. शुक्रवार को धरना स्थल पर बड़ी संख्या में महिलाएं हाथों में लाठी लिए पहुंचीं. इधर संघर्ष समिति ने सरकार को 22 जनवरी का डेडलाइन देते हुए 23 जनवरी से आंदोलन उग्र करने की चेतावनी दी है. संघर्ष समिति का कहना है कि यदि 22 जनवरी तक हमारी मांगें नहीं मानी गई तो हम हाईवे के साथ-साथ दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक को ब्लॉक कर देंगे. मालूम हो कि भरतपुर-धौलपुर जाट समाज (Bharatpur Dholpur Jat Reservation Struggle Committee) द्वारा उच्चैन उपखंड के गांव जयचौली में 17 जनवरी से महापड़ाव दिया जा रहा है. शुक्रवार को महापड़ाव का तीसरा दिन है. तीसरे दिन यह आंदोलन उस समय रंगत में आ गया जब आस-पास के गांव की महिलाएं हाथों में लाठी-डंडे लेकर महापड़ाव में पहुंचीं.
आर-पार की लड़ाई के लिए महिलाएं भी तैयार
महिलाओं ने सरकार से केंद्र में आरक्षण की मांग की है और सरकार को चेतावनी भी दी कि अगर 22 जनवरी तक हमारी मांग मान ली जाए तो ठीक नहीं तो आर-पार की लडाई लड़ने के साथ दिल्ली मुंबई रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया जाएगा. महिलाओं के जोश को देख प्रशासन भी हरकत में आ गया है.
जाट समाज की महिलाओं ने कहा है कि वह आगे रहेगी और उनके आदमी पीछे क्योंकि यह हम सरकार से भीख नहीं अपना हक मांग रहे हैं. सरकार अगर प्यार से बात मानती है तो ठीक नहीं तो आर-पार की लडाई लड़ने के लिए आदमियों के साथ महिलाएं भी तैयार है.
महिलाएं बोलीं- हमे दिल्ली तक जाना पड़ेगा तो भी हम जाएंगे
महिलाओं का कहना है कि हमें अपनी मांग मगवाने के लिए दिल्ली तक जाना पड़े तो हम जाएंगे. क्योंकि हमारे बच्चों के भविष्य की बात है. संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने कहा कि जाट समाज के लिए केंद्र आरक्षण की मांग को लेकर 17 जनवरी से गांधीवादी तरीके से आंदोलन की शुरुआत की है. 22 जनवरी को भगवान श्री राम के उद्घाटन का कार्यक्रम है. जाट समाज हमेशा अनुशासित रहा है. जाट समाज ने सोच-समझ कर यह निर्णय लिया है कि 22 जनवरी तक हम किसी तरह का रोड जाम और रेल की पटरी जाम नहीं करेंगे.
संयोजक ने बताया- 1998 से आरक्षण की मांग कर रहा जाट समाज
फौजदार ने आगे कहा कि राज्य व केंद्र सरकार आंदोलनकारियों की शांति को कमजोरी समझने की भूल न करें. अगर 22 जनवरी तक सरकार हमारी मांग मानती है तो ठीक नहीं तो दिल्ली मुंबई रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया जायेगा. हम 1998 से आरक्षण की मांग करते आ रहे हैं.
2013 में मनमोहन सिंह की सरकार ने 9 राज्यों सहित भरतपुर और धौलपुर के जाटों को आरक्षण दिया था, लेकिन 2015 में भाजपा की सरकार बनती ही सुप्रीम कोर्ट की सहयोग से आरक्षण खत्म कर दिया. राजस्थान में 2017 में वसुंधरा सरकार ने आरक्षण दे दिया लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक इन्हें आरक्षण नहीं दिया है. इसी की मांग को लेकर के यह है आंदोलन कर रहे हैं.
हम नहीं चाहते कि लोग हमें उग्रवादी कहेः संयोजक
संघर्ष समिति के संयोजक नेम सिंह फौजदार ने आगे कहा कि अगर सरकार यह सोचती है कि जाट समाज में आपसी फूट है. तो इस भूल का परिणाम 23 जनवरी को देखने को मिलेगा. हम नहीं चाहते कि बेवजह आमजन को परेशानी हो और आमजन हमें उग्रवादी कहे. हम 22 जनवरी तक सरकार को मौका दे रहे हैं कि वह 22 जनवरी तक हमारी मांग को मान ले. 22 जनवरी शाम 5 बजे तक अगर सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार का कोई संदेश नहीं आता है तो दिल्ली मुंबई रेलवे ट्रैक के साथ जिले के जाटों के गांव को जोड़ने वाले छोटे बड़े रास्तों के साथ छोटी बड़ी रेल लाइनों को जाम कर दिया जाएगा.
यह भी पढ़ें -
राजस्थान में जाटों की चेतावनी के बाद हरकत में आया प्रशासन, रेलवे ट्रैक की निगरानी पर लगाए 130 जवान