Rajasthan News: गुर्जर आंदोलन के बाद अब राजस्थान में जाट आरक्षण आंदोलन (Jat Reservation Agitation) आकार ले रहा है. केंद्र की नौकरियों में ओबीसी वर्ग को लाभ मिलने की मांग लेकर भरतपुर-धौलपुर के जाट समाज ने फिर से बिगुल बजाते हुए उच्चैन उपखंड के गांव जयचोली में बुधवार को महापड़ाव डाल दिया है. इस आंदोलन का आज दूसरा दिन है. जाट समाज ने सरकार को 22 जनवरी तक का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर इस तारीख तक हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो रेल की पटरियां उखाड़ दी जाएंगी. दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक और सड़क पर चक्काजाम किया जाएगा. हो सकता है आंदोलन हिंसक रूप भी ले ले.
रेलवे ट्रैक पर 130 जवानों की तैनाती
जाट आरक्षण आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए रेलवे प्रशासन ने कमर कस ली है. जाट समाज की चेतवानी को देखते हुए रेलवे प्रशासन ने जयचोली रेलवे स्टेशन (Jaicholi Railway Station) के पास सुरक्षा की दृष्टि से रेलवे सुरक्षा बल (RPF) और राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) का संपूर्ण जाप्ता लगा रखा है. रेलवे विभाग के सहायक सुरक्षा आयुक्त चौधरी संजय ने NDTV राजस्थान को बताया कि, 'जाट आरक्षण आंदोलन को देखते हुए हमने दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक की सुरक्षा बढ़ा दी है और आरपीएफ के 52 जवान तो जीआरपी के 78 जवानों का जाप्ता तैनात किया गया है. इन जवानों ने पूरे रेलवे स्टेशन को कवर कर रखा है. साथ ही समय-समय पर रेलवे की इंटेलिजेंस ब्यूरो आंदोलनकारियों पर नजर बनाए हुए हैं. यह आंदोलनकारियों के आगे के प्लान के बारे में अवगत करा रही है. आवश्यकता पड़ने पर और अधिक पुलिस बल भी बुलाया जा सकता है.'
बीते 25 सालों से की जा रही हैं मांग
बताते चलें कि भरतपुर और धौलपुर जिले के जाटों को केंद्र में आरक्षण दिए जाने की मांग 1998 से चली आ रही है. 2013 में केंद्र की मनमोहन सरकार ने भरतपुर और धौलपुर जिलों के साथ अन्य 9 राज्यों के जाटों को केंद्र में ओबीसी का आरक्षण दिया था. 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो सुप्रीम कोर्ट का सहारा लेकर 10 अगस्त 2015 को भरतपुर-धौलपुर के जाटों का केंद्र और राज्य में ओबीसी आरक्षण खत्म कर दिया गया. लंबी लड़ाई लड़ने के बाद 23 अगस्त 2017 को पूर्ववर्ती वसुंधरा राज में दोनों जिलों के जाटों को ओबीसी में आरक्षण दिया गया. लेकिन केंद्र ने यह आरक्षण नहीं दिया. सितंबर 2021 में जब जाट समाज ने चक्का जाम का ऐलान किया था. तब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 28 दिसंबर 2021 को दोनों जिलों के जाटों को केंद्र की ओबीसी में आरक्षण देने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश पत्र लिखा था. उसके बाद आरक्षण संघर्ष समिति ने दिल्ली ओबीसी कमीशन के साथ केंद्र सरकार के मंत्रियों से भी मुलाकात भी की, लेकिन आरक्षण नहीं मिल सका. इसी मांग को लेकर फिर से जाट आरक्षण आंदोलन प्रारंभ किया है.
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