Rajasthan News: झालावाड़ की कालीसिंध थर्मल पावर परियोजना (KaTPP) लगातार मुसीबतों से जूझ रही है. अब परियोजना को मात्र आधा ही कोयला मिल रहा है. ऐसे में यहां आने वाले समय में उत्पादन बंद हो सकता है, जिसके चलते राजस्थान में एक बार फिर से बिजली का संकट पैदा हो सकता है. कालीसिंध थर्मल पावर परियोजना में 600-600 मेगावाट की दो इकाइयां हैं. यहां कुल 2 लाख 88 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन होता है, तथा इन इकाइयों को चलाने के लिए चार रैक कोयला प्रतिदिन चाहिए होता है. लेकिन फिलहाल मांग के मुकाबले आधा कोयला ही मिल पा रहा है. ऐसे में अब परियोजना के पास मात्र 4 दिनों का कोयला ही बचा है. आने वाली समस्या को देखते हुए थर्मल प्रशासन चिंतित और सजग है तथा उच्च स्तर पर वार्ता की जा रही है.
चार दिनों का स्टॉक शेष
थर्मल पावर परियोजना के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अब परियोजना के पास मात्र 35 हजार टन कोयला ही बचा है जो ज्यादा से ज्यादा चार दिनों तक चल सकता है, क्योंकि फिलहाल प्रतिदिन दो रैक कोयला परियोजना को मिल रहा है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सितंबर के महीने से छत्तीसगढ़ के परसा कांटा कॉल ब्लॉक से कोयले की रेगुलर सप्लाई बंद हो गई थी. ऐसे में थर्मल पावर परियोजना के लिए अन्य स्थानों से व्यवस्था कर कोयला मंगवाया जा रहा है. सिंगरौली, महानदी कोल इत्यादि क्षेत्र प्रमुख हैं, जहां से कोयला आ रहा है. लेकिन विडंबना यह है कि जो कोयल मिल रहा है उसकी भी गुणवत्ता बेहद खराब है, जिसके चलते भी उत्पादन प्रभावित हो रहा है.
परसा कॉल ब्लॉक से नहीं मिल रहा कोयला
राजस्थान सरकार के पास छत्तीसगढ़ के परसा कॉल ब्लॉक में एक खदान आवंटित है. किंतु उसमें छत्तीसगढ़ सरकार के साथ चल रहे किसी मामले को लेकर उत्पादन शुरू नहीं हो पा रहा है. सूत्र बताते हैं कि इस क्षेत्र में यदि उत्पादन शुरू हो जाए तो थर्मल पावर परियोजना को पर्याप्त कोयला मिल पाएगा. यहां उत्पादन शुरू होने के बाद प्रतिवर्ष लगभग एक हजार रैक कोयला मिलने लगेगा. थर्मल पावर परियोजना के मुख्य अभियंता के एल मीणा का कहना है कि फिलहाल दोनों इकाइयां चल रही है. किंतु मांग के मुताबिक आधा कोयल ही आ रहा है. ऐसे में आने वाले तीन-चार दिनों में यदि कोयले की आपूर्ति नहीं सुधरी तो संकट गहरा सकता है.
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