Rajasthan: खनन मामले में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की टीम पहुंचीं झुंझुनूं; चंदा इकट्ठा कर लोगों ने NGT में लड़ा केस

Jhunjhunu News: आबादी क्षेत्र में खनन के चलते 50 से 60 घर पूरी तरह प्रभावित है. जबकि 100 से ज्यादा घर आंशिक रूप से इसकी जद में आ गए.

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झुंझुनूं के काना पहाड़ का मामले में एनजीटी ने संज्ञान लिया है. एनजीटी के निर्देश पर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) भोपाल के अतिरिक्त निदेशक सुनील मीणा समेत अधिकारियों की एक जांच टीम झुंझुनूं पहुंची. इस टीम में स्टेट पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सुधीर यादव, जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम कौशल्या विश्नोई, तहसीलदार महेंद्र मूंड और खनन अभियंता रामलाल सिंह भी पहुंचे. करीब दो घंटे तक अधिकारियों की टीम ने काना पहाड़ की हकीकत जानी. खास बात यह है कि इस क्षेत्र के प्रभावित लोगों ने आपस में ही चंदा इकट्ठा कर एनजीटी भोपाल में अपनी याचिका लगाई थी, जिसके बाद मामले पर ट्रिब्यूनल ने एक्शन लिया.

कृषि विभाग के रिटायर्ड उप निदेशक और क्षेत्रवासरी अकरम अली ने बताया, "काना पहाड़ में खनन बंद करने को लेकर लंबे समय से मांग की जा रही है. साल 2007 में तत्कालीन एसडीएम और कलेक्टर ने काना पहाड़ में खनन बंद करने की सिफारिश भी कर दी थी. लेकिन खान विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मिलीभगत कर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार कर खनन की परमिशन दे दी." 

मास्टर प्लान के नियमों का भी हो रहा उल्लंघन

यह क्षेत्र मास्टर प्लान में भी पर्यावरण प्रगति के लिए आरक्षित है. इन तमाम बातों को दरकिनार करके खनिज विभाग और पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस क्षेत्र में खनन शुरू करवाने पर आमादा है. इन्हीं तमाम शिकायतों के बाद समस तालाब के नजदीक काना पहाड़ क्षेत्र में टीम ने काना पहाड़ी में खनन से हुई खदान, तालाब, कबूतर खाना, काना पहाड़, समस तालाब, पशु उप चिकित्सा केंद्र, मंदिर, दरगाह समेत खनन क्षेत्र से सटे परिया का बारीकी से जायजा लिया. इस टीम ने स्थानीय लोगों के साथ ही खनन धारकों से भी बातचीत कर उनका पक्ष जाना. 

17 नवंबर से पहले पेश होगी रिपोर्ट

इस टीम को जांच पूरी करने के साथ ही 17 नवंबर से पहले रिपोर्ट एनजीटी को प्रस्तुत करनी है. इस मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को ही होगी. हालांकि, इससे पहले साल 2022 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया था. सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में स्टेट लेवल एनवायरमेंट एसेसमेंट अथॉरिटी को इस मामले में सुनवाई करने को कहा था. 

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पिछले साल से बंद है खनन कार्य

यहां से अनुमति मिलने पर जिला स्तर पर कलेक्टर से ईसी लेकर अक्टूबर 2024 में यहां खनन कार्य शुरू किया गया. आबादी क्षेत्र में ब्लास्टिंग से लोगों के मकान में दरारें आने लगी और घरों में कंपन महसूस होने लगा. इसके बाद लोग विरोध में उतर आए और कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन भी हुए. तब प्रशासन ने 6 दिसंबर को आबादी क्षेत्र में खनन कार्य बंद करने का आदेश दिया था.   

इनपुट- रविंद्र चौधरी

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