Rajasthan: रक्षाबंधन पर निभाई सालों से अनूठी परंपरा, सेना में शहीद भाईयों की कलाई पर बहन सजाती है राखी

राजस्थान के झुंझुनूं जिले में रक्षाबंधन पर अनोखी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है. यहां बहनें जीवित भाइयों के साथ में शहीद भाइयों की प्रतिमाओं पर राखी बांधती हैं और उनके बलिदान को सम्मान देते हुए पवित्र भाई-बहन के रिश्ते को अमर रखती हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
राजस्थान के झुंझुनूं जिले में रक्षा बंधन पर एक अनोखी परंपरा बनी हुई है.

Rajasthan News: राजस्थान का झुंझुनूं देश को सबसे अधिक सैनिक और शहीद देने वाला गौरव सेनानी जिला है. इसके साथ ही जिले में रक्षाबंधन पर एक अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है. यहां बहनें यहां भाइयों के साथ ही शहीद भाइयों की प्रतिमाओं की कलाई पर भी राखी बांधी जाती है. बहनें दूर दराज से चलकर शहीद भाई की कलाई पर राखी बांधने पहुंचती हैं.

यह बंधन भाइयों की शहादत के सालों बाद भी जिंदा है. बहनें हर साल रक्षाबंधन पर देश की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले अपने भाइयों की प्रतिमा के हाथों पर राखी बांध रही है और इस पवित्र रिश्ते को निभाती आ रही हैं.

Advertisement

बाय गांव में शहीद बाबूलाल की अमर कहानी

नवलगढ़ के बाय गांव में शहीद बाबूलाल पूनियां की बहनें हर रक्षाबंधन पर उनकी प्रतिमा पर राखी बांधने आती हैं. बाबूलाल 21 अगस्त 2002 को, रक्षाबंधन से ठीक एक दिन पहले, देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे. उनकी बहनों का कहना है कि बाबूलाल हर रक्षाबंधन पर घर आने की कोशिश करते थे. आखिरी बार शहीद होने के बाद भी वे अपने वचन के साथ घर लौटे, भले ही उनकी पार्थिव देह के रूप में. आज भी उनकी बहनें राखी बांधते समय आंसुओं के साथ भाई की मौजूदगी महसूस करती हैं. उनका मानना है कि बाबूलाल आज भी उनके बीच जिंदा हैं.

Advertisement

झांझोत में शहीद राजेश को बहन की राखी

चिड़ावा के झांझोत गांव में शहीद राजेश की बहन अपनी ससुराल आबूसर से हर साल राखी बांधने पहुंचती है. वे कहती हैं, “मैं सब कुछ भूल सकती हूं, लेकिन अपने शहीद भाई की कलाई पर राखी बांधना कभी नहीं भूलती.” वे सबसे पहले राजेश की प्रतिमा पर राखी बांधती हैं, क्योंकि उनका विश्वास है कि उनका भाई आज भी अमर है. प्रतिमा को देखकर उन्हें लगता है कि राजेश उनके सामने खड़े हैं और उनकी रक्षा का वचन दे रहे हैं.

Advertisement

शहीदों की याद में रक्षाबंधन का उत्साह

झुंझुनूं के हर शहीद स्मारक पर बहनें वही उत्साह और प्यार लेकर पहुंचती हैं, जो बचपन में उनके भाइयों के साथ था. वे मानती हैं कि उनके भाइयों ने करोड़ों बहनों की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए. इसलिए रक्षाबंधन पर सबसे पहले शहीद भाइयों की प्रतिमा पर राखी बांधकर वे अपने कर्तव्य को निभाती हैं.

इसके बाद ही वे परिवार के अन्य सदस्यों को राखी बांधती हैं. यह परंपरा न केवल शहीदों के बलिदान को सम्मान देती है, बल्कि भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को भी अमर रखती है.

यह भी पढ़ें- Rajasthan News: रींगस के सरकारी स्कूल में शिक्षक आपस में भिड़े, प्रिंसिपल पर भी मारपीट का आरोप