Rajasthan: झुंझुनू की JJT यूनिवर्सिटी ने 'थोक के भाव' बांट दीं PhD डिग्रियां, UGC ने एडमिशन पर लगाया 5 साल का बैन

JJT University PhD Admission: डिग्रियों में मिली खामियों को लेकर यूनिवर्सिटी के साथ यूजीसी की 3-4 बार बैठक की, जिसमें यूनिवर्सिटी की तरफ से कोई संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं मिला. इस वजह से यूजीसी ने 5 साल के लिए पीएचडी कोर्सेज में प्रवेश के लिए प्रतिबंध लगा दिया है.

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जेजेटी यूनिवर्सिटी में PhD एडमिशन पर लगा बैन.

Rajasthan News: राजस्थान में झुंझुनू जिले के चुड़ैला से संचालित श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल टिबरेवाला विश्वविद्यालय (JJT University) की PhD डिग्रियों में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. इसकी जांच जब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने पूरी की तो यूनिवर्सिटी के PhD कोर्सेज में अगले 5 सालों के लिए एडमिशन पर बैन लगा दिया. इसकी जानकारी यूजीसी ने एक पब्लिक नोटिस जारी करते हुए दी है.

डिग्रियों की जांच में मिलीं ये गड़बड़ियां

यूजीसी को शिकायत मिली थी कि जेजेटी यूनिवर्सिटी सभी मापदंडों के विपरित जाकर पीएचडी कोर्सेज करवा रही है, और डिग्री बांट रही है. इस पर आयोग ने एक्शन लिया और मार्च-अप्रैल 2024 में जांच शुरू हो गई. आयोग ने साल 2016 से 2020 के दरमियान दी गई PhD डिग्रियों का डेटा यूनिवर्सिटी से मांगा. जब आयोग ने इसकी जांच की तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. यूजीसी की जांच में विषय निर्धारण, एंट्रेंस एग्जाम कार्ड, एक्सपर्ट मेंबर्स, सुपरवाइजर, एग्जामिनर आदि के नाम-पते गायब मिले. इसके अलावा भी कई ऐसी खामियां मिली, जिसमें यूजीसी के दिशानिर्देश व नियम का पालन नहीं किया गया.

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5 साल बाद फिर जांच के बाद हटेगा बैन

इन खामियों को लेकर यूनिवर्सिटी के साथ यूजीसी की 3-4 बार बैठक की, जिसमें यूनिवर्सिटी की तरफ से कोई संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं मिला. इस वजह से यूजीसी ने 5 साल के लिए पीएचडी कोर्सेज में प्रवेश के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही कहा है कि 5 साल बाद भी यूनिवर्सिटी द्वारा 2021 से 2025 तक दी गई पीएचडी डिग्रियों की जांच के बाद प्रतिबंध हटाया जाएगा. 

करीब 100 से 150 करोड़ का फर्जीवाड़ा

जानकारी के मुताबिक, साल 2016 से 2025 तक यूनिवर्सिटी ने करीब-करीब 4000 PhD डिग्री बांटी हैं. एक एडमिशन की फीस 3 से लेकर 5 लाख रुपये तक वसूलने की जानकारी मिली है. इस लिहाज से यूनिवर्सिटी ने अब तक करीब 100 से 150 करोड़ का फर्जीवाड़ा कर दिया है. इससे पहले भी यूनिवर्सिटी में संचालित ब्लड बैंक विवादों में रह चुका है.

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