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जोधपुर में 1121 लावारिस अस्थियों का गंगा में विसर्जन, 100 साल से चली आ रही ये परंपरा

हिंदू सेवा मंडल की यह सेवा 100 साल से भी अधिक समय से निरंतर चल रही है. संस्थान न केवल अंतिम संस्कार करता है, बल्कि हिंदू रीति-रिवाजों के साथ अस्थियों को गंगा में प्रवाहित भी करता है.

जोधपुर में 1121 लावारिस अस्थियों का गंगा में विसर्जन, 100 साल से चली आ रही ये परंपरा
अस्थियों की तस्वीर

Rajasthan News: राजस्थान की धार्मिक नगरी जोधपुर अपनी सेवा और समर्पण की मिसाल से एक बार फिर सुर्खियों में है. हिंदू सेवा मंडल संस्थान पिछले 100 वर्षों से अनाथ और लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहा है. अब यह संस्थान 1121 लावारिस अस्थियों को गंगा में विसर्जन के लिए तैयार है. यह पुण्य कार्य 25 जून को पूरे विधि-विधान के साथ होगा.

सनातन संस्कृति का सम्मान

सनातन धर्म में संस्कारों का विशेष महत्व है. मान्यता है कि अस्थियों का गंगा में विसर्जन करने से आत्मा को मोक्ष मिलता है. हिंदू सेवा मंडल इस विश्वास को जीवंत रखते हुए हजारों लावारिस शवों की अस्थियों को गंगा की गोद में सौंप चुका है. संस्थान के 21 सदस्यों का दल इस बार भी हरिद्वार जाकर यह कार्य करेगा.

100 साल की अटूट सेवा

हिंदू सेवा मंडल की यह सेवा 100 साल से भी अधिक समय से निरंतर चल रही है. संस्थान न केवल अंतिम संस्कार करता है, बल्कि हिंदू रीति-रिवाजों के साथ अस्थियों को गंगा में प्रवाहित भी करता है. जो लोग हरिद्वार नहीं जा सकते, उनकी अस्थियों को भी संस्थान वहां ले जाता है. इस नेक कार्य में देश के अन्य राज्यों से लोग भी हिस्सा लेने जोधपुर आते हैं.

समाज के लिए प्रेरणा

संस्थान के पदाधिकारियों का कहना है कि यह कार्य निस्वार्थ भाव से किया जाता है. वे समाज से अपील करते हैं कि जो लोग अस्थि विसर्जन के लिए असमर्थ हैं, वे अपनी अस्थियां संस्थान को सौंप सकते हैं. यह पहल न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि मानवता की 

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