देश में लगभग सभी बड़े सेक्टरों में ड्रोन का उपयोग धीरे-धीरे बढ़ रहा है. ऐसे ही एक सकारात्मक खबर राजस्थान के सिरोही जिले से आई है. पिछड़े और आदिवासी सुदूर इलाकों में जहां पर कठिन रास्ते होने के कारण मेडिकल सुविधाएं आसानी से सुलभ नहीं हो पाती है. उन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जोधपुर एम्स ने (सेटेलाईट सेन्टर ड्रोन) चिकित्सकीय सुविधा प्रारम्भ की गयी है.
गौरतलब है अनमैन्ड एरियल वेहिकल (यूएवीज) को आसान भाषा में ड्रोन कहा जाता है. आज चाहे एरियल सिनेमेटोग्राफी हो, ज़मीन का सर्वे हो, फिर कृषि हो, खनन उद्योग हो या फिर दवाइयों की सुदूर इलाकों में डिलीवरी की बात, सभी जगह आजकल ड्रोन का उपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक यह सुविधा जिले के आबू रोड स्थित ब्रह्माकुमारीज संस्थान के शांतिवन के सामने स्थित जनजातीय छात्रावास में (एम्स की शाखा) शुरू की गयी है. ताकि आदिवासी बहुल इलाकों के लोगों की सहज ही स्वास्थ सम्बन्धी सेवा मिल सके.
यह सुविधा "ड्रोन सहायक चिकित्सा पायलट प्रोजेक्ट" के माध्यम से लोगों को प्राप्त होगी. इस अवसर पर जिला कलेक्टर डॉ भंवर लाल, एम्स जोधपुर के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर माधबानन्दकर, डीन डॉ कुलदीप सिंह, ग्लोबल अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ प्रताप मिडढा, वरिष्ठ राजयोगिनी बीके गीता, रेडियो मधुबन के स्टेशन हेड बीके यशवंत की उपस्थिति में किया गया. वहीं, जनजातीय मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवल जीत कपूर ने ऑनलाइन शिरकत कर औपचारिक उद्घाटन किया.
उल्लेखनीय है इस पहल से आदिवासी और पिछड़े लोगों को भी मेडिकल की सुविधायें मिल सकेंगी. इस ड्रोन के जरिए 80 किमी की रेंज में दवाओं को उपलब्ध कराया जा सकेंगा. लोगों को दुर्गम रास्तों से जाते हुए बहुत वक्त लग जाता है. अब ग्लोबल अस्पताल भी अपनी दवाओं को दूर दराज के इलाकों तक जन सेवाओं को पहुंचा सकेगा. इससे नई पहल से लोगों में ख़ुशी की लहर है.