Jodhpur Encroachment Drive: राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाने पहुंचा वन विभाग, बुलडोजर के सामने खड़े हो गए लोग

वन विभाग के अधिकारियों ने राजस्थान हाई कोर्ट के आदेशों की पालना के लिए अनुरोध किया. लेकिन जनता का भी विरोध था. ऐसे में काफी देर प्रयास के बाद वन विभाग और राजस्व विभाग ने दूसरे चरण में केवल उन जमीनों से अतिक्रमण हटाने की बात कही है, जहां महज छोटी-मोटी दीवारें बनी थी. उन दीवारों को तोड़ने की बात कही.

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बुलडोजर एक्शन के दौरान जमा लोगों की भारी भीड़ और पुलिस जाप्ता.

Rajasthan News: राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) के आदेश पर जोधपुर शहर (Jodhpur City) के आसपास बसी सरकारी जमीनों पर आबादी को हटाने के लिए वन विभाग की टीम सुबह मौके पर पहुंच गई. जब मंडोर क्षेत्र के मगजी की घाटी में लोगों ने आरएसी और पुलिस जाप्ते के साथ वन विभाग की टीम को अतिक्रमण हटाने के लिए आते देखा तो वे सभी इसका विरोध करने लगे. इस दौरान स्थानीय लोग वन विभाग की जेसीबी मशीनों के आगे खड़े हो गए. करीब 1 घंटे तक प्रशासन समझाइस के प्रयास करता रहा. जब अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की गई तो कुछ लोगों ने पुलिस से झड़प करने के साथ ही दो-चार पत्थर भी पुलिस पर फेंके गए. इस पर पुलिस ने भी थोड़ी शक्ति दिखाई और उसके बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू हुई.

वन विभाग के अधिकारियों ने राजस्थान हाई कोर्ट के आदेशों की पालना के लिए अनुरोध किया. लेकिन जनता का भी विरोध था. ऐसे में काफी देर प्रयास के बाद वन विभाग और राजस्व विभाग ने दूसरे चरण में केवल उन जमीनों से अतिक्रमण हटाने की बात कही है, जहां महज छोटी-मोटी दीवारें बनी थी. उन दीवारों को तोड़ने की बात कही. इसके बाद स्थानीय लोग पीछे हटे और छोटी-मोटी पत्थरों की दीवारों को जेसीबी मशीनों के द्वारा हटाने की कार्रवाई शुरू की गई. लेकिन जब मशीन आगे बढ़ने लगी तो एक बार फिर स्थानीय लोगों ने मशीन पर चढ़कर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का विरोध शुरू कर दिया. पुलिस द्वारा लगातार समझाइस की गई उसके बाद दीवारों को तोड़ा गया और अधिकारी वापस लौट गए. हालांकि वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश की पालना में चरणबद्ध रूप से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी, जहां विरोध नहीं है वहां पर अतिक्रमण हटाए जा रहे हैं. उसके बाद रहवासी इलाकों में भी कार्यवाही की जाएगी.

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मगजी की घाटी क्षेत्र में वन विभाग की ओर से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. लेकिन विरोध के बावजूद भी छोटी-मोटी दीवारें तोड़कर खानापूर्ति की. जनता का कहना था कि यहां पिछले 30 सालों से रह रहे हैं, तब किसी की नींद नहीं उड़ी. मकान तक बना दिए जब भी कुछ नहीं हुआ. लेकिन अब महज गरीबों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है, यह अन्याय है. हम लोगों को यहां मकान बेच गए तब सरकार को कार्रवाई करनी थी जिस जमीन की बात कर रहे हैं. उसकी बदले में फलोदी में जमीन दी गई है. लेकिन फिर भी हमारे खिलाफ कार्रवाई हो रही है वह उचित नहीं है.

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जोधपुर की वन जमीनों को बचाने के लिए जोधपुर निवासी रामजी विकास की ओर से राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें बताया गया कि जोधपुर शहर के आसपास 07 वन खंड की भूमि है. जिस पर पिछले 21 सालों से स्थानीय लोग के साथ साथ प्रभावशाली लोगों ने भी अपने प्रभाव से वन भूमि पर कब्जे कर लिये हैं. हालात यह है कि जोधपुर के आसपास में 40 बस्तिया अवैध रूप से आबाद हो गई है, जिन पर करीब 30 हजार लोगों ने कब्जा कर लिया है. यह भूमि भी करोड़ा रुपए की है, जिसमें केवल अतिक्रमणकारियों का ही नहीं, कई विभाग का हाथ भी शामिल हैं. लोगों द्वारा अतिक्रमण करने के बाद डिस्कॉम द्वारा बिजली का कनेक्शन दिया जाता है तो जलदाय विभाग द्वारा पानी का कनेक्शन और जेडीए पट्टा दे रहा है. वहीं निगम उनको रेगुलेर करता जा रहा है. लेकिन वन विभाग के अधिकारी भी मौन साधे बैठे केवल कार्यवाही के नाम पर कागजी खानापूर्ति कर रहे हैं. करोड़ों रुपये की जमीन सभी मिलकर दबा रहे है और वन क्षेत्र समाप्त होते जा रहे है. ऐसे में याचिका के जरिये कार्यवाही की मांग की गई है. अब देखना है कि वन विभाग अपनी ही जमीन को खाली करवा पाता है या हाई कोर्ट में महज खाना पूर्ति की रिपोर्ट पेश करेगा.

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