Jodhpur Crime: प्रिंसिपल का बेटा कैसे बना जोधपुर का साइको किलर, 62 साल की उम्र में की दो बच्चों की निर्मम हत्या, पढ़ें पूरी क्राइम कुंडली

Jodhpur Crime News: राजस्थान के जोधपुर जिले में बीते दिनों 8 और 12 साल के बच्चे की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में पुलिस ने 62 वर्षीय मुकुंद थानवी नामक शख्स को गिरफ्तार किया है.

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Jodhpur Psycho Killer Mukund Thanvi: जोधपुर के दो मासूम बच्चे जिनकी साइको किलर मुंकुंद थानवी ने की निर्मम हत्या.

Jodhpur Crime News: हाल ही में राजस्थान की न्यायिक राजधानी जोधपुर के बोरानाडा थाना क्षेत्र में दो मासूम बच्चों की निर्मम हत्या का मामला सामने आया है. यहां एक किराये के मकान में 8 और 12 साल के दो बच्चों की लाश फंदे से लटकी मिली थी. बच्चों की पहचान प्रदीप देवासी की 12 वर्षीय बेटी तन्नू और 8 वर्षीय पुत्र शिवपाल के रूप में हुई थी. दोनों बच्चे स्कूल जाने के लिए घर से निकले थे. फिर लापता हो गए थे. बच्चों की स्कूल ड्रेस में लाश किराये के मकान में फंदे से लटकी मिली थी. इस मामले में पुलिस ने मुकुंद थानवी को गिरफ्तार किया है. 

मुकुंद थानवी को पुलिस भी मान रही साइको किलर

62 वर्षीय मुकुंद थानवी को साइको किलर बताया जा रहा है. थानवी अपने साथी बिजनेस पार्टनर के पार्टनरशिप छोड़ने के कारण उसके दो मासूम बच्चों की हत्या कर फरार हो गया था. हालांकि इस घटना के बाद पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी को नाथद्वारा से दस्तयाब कर लिया था. 

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घटना के बाद प्रथम दृष्टांत पुलिस भी इस हत्यारे 62 वर्षित वृद्ध मुकुंद थानवी को भी साइको किलर मानकर आगे की जांच भी उसी अनुरूप कर रही है. 

17 साल पहले चूड़ी की फैक्ट्री में शुरू किया था काम करना

मूलत: फलोदी निवासी साइको किलर मुकुंद थानवी 17 वर्ष पूर्व से ही जोधपुर में बोरानाडा क्षेत्र में रहकर एड़ी नामक चूड़ी की फैक्ट्री में मजदूर के रूप में कार्य करता था. वहीं उसके साथ प्रदीप पुत्र ओमप्रकाश पाल भी इस फैक्ट्री में साथ कार्य करते थे. लेकिन किसी कारणवश गत वर्ष फैक्ट्री मालिक से आपसी लेनदेन के कारण उसने फैक्ट्री को छोड़ दिया. उसके बाद प्रदीप पाल के साथ मिल 9 माह पूर्व ही पार्टनरशिप के साथ चूड़ी की नई फैक्ट्री शुरू की. 

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पार्टनरशिप छोड़ने से नाराज था 'साइको किलर'

लेकिन कुछ माह बाद ही प्रदीप पाल ने अपनी पार्टनरशिप बीच में ही छोड़ दी जिसको लेकर मुकुंद थानवी में खासा रोष था. वह इसे अपनी वित्तीय हानि बता रहा था. लंबे समय से प्रदीप पाल से उसके घरेलू संबंध होने के साथ ही उसके घर परिवार से भी उसके पारिवारिक संबंध काफी घनिष्ठ थे. इसी का फायदा उठाकर उसने कुछ दिन पूर्व मौका पाकर प्रदीप पाल के दोनों बच्चों (पुत्र व पुत्री) को अपने घर बुलाकर तेजाब से जलाने का डर दिखाते हुए उसे फांसी के फंदे पर लटकाने पर मजबूर कर दिया. 

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बच्चों की हत्या के बाद पुलिस को गुमराह करने के लिए उन्हें फांसी के फंदे पर लटका कर एक सुसाइड नोट भी लिखकर घर पर ताला जड़ फरार हो गया. 

पिता ने पारिवारिक संपत्ति से किया था बेदखल

आरोपी 'साइको किलर' की पूर्व की हिस्ट्री भी काफी विवादित रही है. बताया जाता है कि उसके पिता द्वारा भी उसे न सिर्फ संपत्ति से बेदखल किया गया है बल्कि उसकी गलत करतूतों के कारण उसे समाज से भी बहिष्कृत किया जा चुका है. उसकी कार्यशैली काफी संवेदनशील और विवादों से  भरी रही है. 

फलोदी से जोधपुर में नाम और पहचान बदलकर रहता था

फलोदी से जोधपुर आने के बाद वह अपने कहीं नाम और पहचान बदलकर भी रहा करता था. उसका कथित नाम श्याम सिंह भाटी था और क्षेत्र में उसे लोग दाता के नाम से पहचानते थे. लेकिन उसका सही नाम मुकुंद थानवी के रूप में सामने आया है. 

राजसमंद के नाथद्वारा से पकड़ा गया आरोपी 

हत्या की पुष्टि होने से पूर्व जहां मृतक के पिता द्वारा बोरानाडा थाने में इस संबंध में बच्चों की गुमशुदगी की सूचना दी जिसके बाद पुलिस ने पड़ताल की तो मुकुंद थानवी के उसी बंद घर में दोनों बच्चों के शव फंदे पर झूलते हुए मिले. उसके बाद पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए मुकुंद थानवी को राजसमंद के नाथद्वारा से दस्तयाब किया. इसके बाद उसे जोधपुर लाया गया जहां उससे कड़ी पूछताछ की जा रही है.

जोधपुर पुलिस की गिरफ्त में मुकुंद थानवी.

एनडीटीवी से बोले आईओ- मुंकुंद की क्राइम हिस्ट्री विवादित

एनडीटीवी से खास बातचीत करते हुए बोरानाडा थानाधिकारी व इस पूरे मामले के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर शकील अहमद ने बताया कि निश्चित रूप से इसको साइको किलर कहा जा सकता है, क्योंकि इसकी पुरानी हिस्ट्री भी काफी विवादित रही है. उस पर पूर्व में भी घर और पड़ोस में चोरी करने और बीकानेर से एक महिला को भागने का भी आरोप रहा है. 

2008 में परिवार ने किया बेदखल, फिर समाज से भी हुआ बहिष्कृत

उसके परिवार से भी यह जानकारी प्राप्त हुई है कि यह साइको प्रवृत्ति का है. इसी कारण वर्ष 2008 में इसे इसके परिवार के द्वारा संपत्ति से भी बेदखल किया जा चुका है.उसको घर और समाज से भी बहिष्कृत किया जा चुका है और तभी से यह अपनी पहचान व नाम छुपा कर रह रहा था. कभी इसने अपना नाम श्याम सिंह भाटी रखा, इसी नाम के साथ वह 2008 से ही चूड़ी की फैक्ट्री में मजदूर के रूप में कार्य करता था. 

16-17 साल से मुकुंद बोरानाडा क्षेत्र में रहता था, वहां इसे दाता नाम से भी पहचाना जाता था. जिन दो बच्चों की हत्या की है वह भी उसे दादा के रूप में मानते थे. 

पिता प्रिंसिपल, बेटे के हरकतों के कारण किया था बेदखल

इस साइको किलर के पिता जोधपुर में सरकारी विद्यालयों में प्रिंसिपल के रूप में भी कार्य कर चुके हैं. प्रिंसिपल के पद से ही सेवानिवृत हुए जहां इसके परिवार काफी प्रतिष्ठित होने के साथ ही उसका बैकग्राउंड काफी अच्छा है. लेकिन 62 वर्षीय मुकुंद थानवी की हरकतों की वजह से उसके परिवार वालों ने इसे परिवार से बेदखल कर दिया था. 

मात्र 60 हजार के नुकसान पर दो बच्चों की कर दी हत्या

इस घटना में मुकुंद थानवी को कोई बड़ा फाइनेंशियल नुकसान भी नहीं था. बताया जाता है कि उसे करीब 60 हजार का नुकसान हुआ था. लेकिन इस मामूली नुकसान के कारण इनसे पार्टनर के बच्चों को फांसी पर लटका दिया और सुसाइड नोट में भी उसका यह जिक्र किया कि 'मैं चाहता तो उसके माता-पिता को भी मार सकता था लेकिन उससे उसके बच्चे अनाथ हो जाते और इस कारण उसने उसको सबक सिखाने के लिए उसके दोनों बच्चों को ही मार दिया'.

अब घटना के बाद पुलिस इस पूरे मामले की घंटा के साथ पड़ताल कर रही है और साइको किलर मुकुंद थानवी से भी सख्ती के साथ पूछताछ भी कर रही है.

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