Rajasthan Politics: 'सचिन पायलट के बढ़ते कद को देख डोटासरा कर रहे बयानबाजी' मंत्री जोगाराम पटेल का PCC चीफ पर हमला

Rajasthan News: गोविंद सिंह डोटासरा की बयान पर जोगाराम पटेल ने कहा कि मैं प्रदेश के विकास के लिए सदैव तत्पर हूं और विकास कार्यों को बिना किसी भेद भाव के प्राथमिकता दूंगा. ऐसे में विशेषाधिकार का हनन का सवाल ही नहीं होता.

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Rajasthan Politics: राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने गोविंद सिंह डोटासरा की बयानबाजी को लेकर कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि डोटासरा को अहमदाबाद में कांग्रेस के अधिवेशन में जिस तरह साइड लाइन किया गया, उससे उनकी मनोदशा समझी जा सकती है. दूसरी ओर विधानसभा में उनकी अनुपस्थिति और उनकी पार्टी में सचिन पायलट के बढ़ते कद से डोटासरा अखबारों की सुर्खियां बटोरने के लिए बिना किसी आधार के गलत बयानबाजी कर रहे हैं. विशेषाधिकार कानून कब लाया जा सकता है, इसके बार में भी शायद डोटासरा को जानकारी नहीं है.

'विशेषाधिकार हनन का सवाल हीं नहीं'

मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने तो डोटासरा से बजट पूर्व यहां तक कह दिया था कि यदि कोई विधायक अपने क्षेत्र में विकास करवाने की बात मुझ तक पहुंचाना चाहता है तो वो आपके मार्फत भी पहुंचा सकता है. मैं प्रदेश के विकास के लिए सदैव तत्पर हूं और विकास कार्यों को बिना किसी भेद भाव के प्राथमिकता दूंगा. ऐसे में विशेषाधिकार का हनन का सवाल ही नहीं होता.

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जोगाराम पटेल ने कहा कि डोटासरा ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ का नाम लेकर अनर्गल आरोप लगाए, डोटासरा के ये आरोप पूर्ण रूप से गलत हैं.

पंचायतों को पुनर्गठन प्रशासनिक और कानूनी व्यवस्था है. पंचायतों का पुनर्गठन पंचायती राज अधिनियम और नगर पालिका का पुनर्गठन नगर पालिका अधिनियम के अनुसार किया जाता है. ये पूर्णरूप से प्रशासनिक ईकाई है, जिसमें विधायकों, जनप्रतिनिधियों का मात्र सुझाव देने तक का रोल हो सकता है, निर्णय कानून के अनुसार पूर्ण पारदर्शिता से ये ईकाई करती है.

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1975 के एक मामले का दिया उदाहरण

इस इकाई के फैसले के बाद भी आपत्तियों को सुनवाई का अधिकार जिला और प्रदेश समिति के समक्ष किया जाता है. ऐसे में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा का बयान गलत और ​गैर जिम्मेदाराना है. यह बयान कांग्रेस के अंतर्कलह को स्पष्ट कर रहा है. पटेल ने 1975 के दौरान ऐसे ही एक प्रकरण का उदाहरण देते हुए बताया कि विधानसभा में ऐसा ही प्रकरण आया था, तत्कालीन पंचायती राज मंत्री ने कहा था कि हम पंचायतों का कार्यकाल नहीं बढ़ाएंगे, लेकिन कार्यकाल बढ़ाया गया.

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उस वक्त भी प्रो केदार और एक ओर माननीय विधायक ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने का प्रयास किया था, लेकिन उस वक्त भी यह स्पष्ट हो गया था कि यह विशेषाधिकार के क्षेत्र में नहीं आता. डोटासरा ने तथ्यों से परे जाकर गैर जिम्मेदाराना बयान दिया और ऐसे में उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए. 

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