राजस्थान, गुजरात और अरब सागर में संयुक्त अभियान, साथ आए युद्धपोत, ड्रोन और हजारों जवान

वायुसेना के 40 से अधिक विमानों व भारतीय थलसेना के 30,000 से अधिक सैनिकों ने भी इस अभ्यास में भागीदारी की.

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भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना ने संयुक्त रूप से ‘त्रि-सेवा अभ्यास 2025’ का सफल आयोजन किया है.

भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना ने संयुक्त रूप से ‘त्रि-सेवा अभ्यास 2025' का सफल आयोजन किया है. भारत की तीनों सेनाओं द्वारा यह संयुक्त अभ्यास राजस्थान, गुजरात और उत्तरी अरब सागर के विस्तृत क्षेत्रों में किया गया. इस विशाल सैन्य अभ्यास में जटिल युद्ध परिस्थितियों और बहु-क्षेत्रीय समन्वित अभियानों का प्रदर्शन किया गया. सोमवार को नौसेना ने बताया कि इस बेहद महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास में भारतीय नौसेना के लगभग 20 से 25 सतही और पनडुब्बी जैसे संसाधन शामिल रहे. इनमें कई युद्धपोत भी शामिल थे.

तीनों सेनाओं ने किया अभ्यास 

नौसेना के मुताबिक इस अभ्यास के माध्यम से तीनों सेनाओं के बीच संचालनिक तालमेल, एकीकृत युद्ध रणनीतियों और संयुक्त मानक कार्यप्रणालियों (एसओपी) का परीक्षण एवं सत्यापन किया गया. नौसेना के आधुनिक प्लेटफार्मों के साथ ही भारतीय वायुसेना ने 40 से अधिक विमानों और संबंधित ग्राउंड-बेस्ड सिस्टम्स के साथ यहां अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है. राजस्थान, गुजरात और उत्तरी अरब सागर के विस्तृत क्षेत्रों में अभ्यास के दौरान भारतीय थलसेना ने 30,000 से अधिक सैनिकों, हथियार प्रणालियों और उपकरणों के साथ अपनी सामरिक तैयारी और क्षमता को प्रदर्शित किया.

इसके साथ ही, भारतीय तटरक्षक बल, सीमा सुरक्षा बल और अन्य केंद्रीय एजेंसियों की सक्रिय भागीदारी ने अंतर-एजेंसी समन्वय और संयुक्तत को और अधिक सशक्त बनाया.

‘त्रि-सेवा अभ्यास 2025' का सफल आयोजन किया गया.

आत्मनिर्भर भारत' की भावना का प्रतीक

यह अभ्यास ‘आत्मनिर्भर भारत' की भावना का प्रतीक रहा. यहां इस अभ्यास में तीनों सेनाओं ने स्वदेशी हथियार प्रणालियों और नवाचारों का उपयोग किया है. इससे न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे की मजबूती प्रदर्शित हुई, बल्कि भारत की रक्षा क्षमताओं की एकता और आत्मनिर्भरता का सशक्त संदेश भी गया. तीनों सेनाओं ने समन्वय व शक्ति का प्रदर्शन किया है. भारतीय सशस्त्र सेनाओं, यानी नौसेना, वायुसेना व थलसेना के वीर जवान इस एक्सरसाइज का संचालन कर रहे थे.

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इंटीग्रेटेड ऑपरेशंस की वास्तविक क्षमता को परखा

यह एक प्रमुख त्रि-सेवा अभियान है, जो भारतीय थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच संयुक्तता और इंटरऑपरेबिलिटी को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से किया गया. भारतीय नौसेना के नेतृत्व में थलसेना और भारतीय वायुसेना के साथ यह त्रि-सेवा संयुक्त सैन्य अभ्यास अब तक के सबसे महत्वपूर्ण युद्धाभ्यासों में शामिल है. इस व्यापक अभ्यास के दौरान तीनों सेनाओं ने विभिन्न भू-भागों जैसे कि मरुस्थल, तटीय क्षेत्रों और समुद्री क्षेत्रों में एकीकृत अभियानों का प्रदर्शन किया. इससे तीनों सेनाओं की सिनर्जी और इंटीग्रेटेड ऑपरेशंस की वास्तविक क्षमता को परखा गया.

इंटरऑपरेबिलिटी को बढ़ाने पर फोकस किया गया

दरअसल यह अभ्यास भारतीय सशस्त्र सेनाओं की उस अटूट भावना का प्रतीक है जो देश की सीमाओं की रक्षा के लिए संयुक्त शक्ति और समन्वित प्रयासों पर आधारित है. यह अभ्यास गुजरात और राजस्थान के क्रीक व मरुस्थलीय क्षेत्रों में हुआ है. बड़े पैमाने पर स्थलीय अभियानों के साथ-साथ उत्तरी अरब सागर में व्यापक समुद्री और उभयचर अभियान भी इसमें सम्मिलित रहे. यहां मल्टी डोमेन वातावरण में प्रभावी संयुक्त अभियान संचालित करने का अभ्यास किया गया है. इसके तहत तीनों सेनाओं के प्लेटफॉर्म और बुनियादी ढांचे के बीच इंटरऑपरेबिलिटी को बढ़ाने पर फोकस किया गया.

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