Kalibai Bhil: 13 साल की उम्र में गुरु की रक्षा करते हुए शहीद हुईं थीं कालीबाई, सरकार ने सिलेबस से हटाया पाठ 

Rajastha: सांसद राजकुमार रोत ने कहा, ''सरकार आदिवासियों के हितों की बात करती है, लेकिन कथनी और करनी में फर्क है. हमारे बच्चे वीरांगना कालीबाई के बलिदान को कम उम्र में ही समझ रहे थे, लेकिन अब इसे हटा दिया गया है''

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राजस्थान में कालीबाई भील को शिक्षा के लिए बलिदान देने के लिए याद किया जाता है.

Kali Bai Bhil: नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद राजस्थान में कक्षा 1 से 5 तक का पाठ्यक्रम बदला गया है. बदलाव के तहत कक्षा 5 की अंग्रेजी की किताब से शिक्षा के लिए बलिदान देने वाली वीरांगना कालीबाई कलासुआ का पाठ हटा दिया गया है. पहले यह पाठ्यक्रम में शामिल था और मुख्य कवर पेज पर भी उनकी शहादत का ज़िक्र था.

दरअसल, 9 अगस्त 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के बाद गांधीवादी नेता ठक्कर बापा से प्रेरित होकर डूंगरपुर सेवा संघ की स्थापना हुई. इसका उद्देश्य दलितों व आदिवासियों को देशभक्ति और बहादुरी पर शिक्षित करना था. 19 जून 1947 को पुलिस और रियासतों ने स्कूल बंद करने का दबाव बनाया, लेकिन नाना भाई खांट ने इनकार कर दिया. पुलिस की पिटाई से उनकी मौत हो गई, जिसके बाद सेंगा भाई भील ने पढ़ाई जारी रखी.

पुलिस सेंगा भाई को पीटते हुए ट्रक के पीछे बांधकर ले जा रही थी. यह देखकर 13 साल की कालीबाई कलासुआ ने हंसिए से रस्सी काट दी. इससे नाराज़ पुलिस ने उन पर गोली चला दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. कालीबाई का यह बलिदान आदिवासी इतिहास में अमर है.

सांसद राजकुमार रोत ने जताया विरोध

नई शिक्षा नीति में कालीबाई का पाठ ही नहीं, बल्कि आइए, प्राणायाम सीखें जैसे योग पाठ को भी हटाया गया है. भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत ने कहा, ''सरकार आदिवासियों के हितों की बात करती है, लेकिन कथनी और करनी में फर्क है. हमारे बच्चे वीरांगना कालीबाई के बलिदान को कम उम्र में ही समझ रहे थे, लेकिन अब इसे हटा दिया गया है''

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